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वेैस्कुलर की बीमारी पैरों की धमनियों में रूकावट के कारण होती है। धमनियों में वसा जमने से धमनियां संकरी हो जाती हैं, जिससे रक्त की आपूर्ति में बाधा आती है और दर्द तथा दूसरी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। मधुमेह और अधिक धूम्रपान करने वालों को विशेष अधिक सावधानी की आवश्यकता है। वैस्कुलर डिजीज की शुरुआत रक्त वाहिकाओं में खून के थक्के जमने से होती है।
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उम्र बढने के साथ-साथ शरीर में कई बीमारियां लग जाती हैं। जैसे हार्ट अटैक, ऑथोराइटिस, शुगर, ब्लड प्रेशर आदि। इनमें से एक है वैस्कुलर डिजीज। आमतौर पर बहुत से लोगों को चलने-फिरने, या आराम करने पर पैरों में दर्द होता है। कुछ लोग दर्द ने राहत पाने के लिए दर्द निवारक दवाएं लेते है। लेकिन पैरों के इस दर्द को अनदेखा नहीं करना चाहिए। ब्लड वेसल्स से जुड़ी बीमारी को वैस्कुलर डिजीज (Vascular Disease in Hindi) या संवहनी रोग के नाम से जाना जाता है। वैस्कुलर डिजीज होने पर आपको दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियों का भी खतरा रहता है। वैस्कुलर डिजीज की वजह से शरीर का सर्कुलेटरी सिस्टम प्रभावित होता है।
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वैस्कुलर की बीमारी पैरों की धमनियों में रूकावट के कारण हो सकती है। धमनियों में वसा जमने से वे संकरी हो जाती हैं, जिससे रक्त की आपूर्ति में बाधा आती है और दर्द तथा दूसरी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। मधुमेह और अधिक धूम्रपान करने वालों को विशेष सर्तकता की आवश्यकता है। वैस्कुलर डिजीज की शुरुआत ब्लड वेसल्स या रक्त वाहिकाओं में खून के थक्के जमने से होती है। लेकिन सिर्फ इसी कारण से यह समस्या नहीं होती है।
वैस्कुलर डिजीज के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं-
हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह से वैस्कुलर डिजीज का खतरा
धूम्रपान और तंबाकू का अधिक सेवन
हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन की समस्या
लंबे समय तक डायबिटीज का शिकार होने पर
गंभीर चोट और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचने पर
आनुवांशिक कारणों से वैस्कुलर डिजीज
लंबे समय तक डायबिटीज होने पर धमनियों को नुकसान
शरीर में खून के थक्के जमने के कारण
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वैस्कुलर डिजीज के लक्षण
पैरों में दर्द और ऐंठन
पेट दर्द, उल्टी, दस्त और वजन कम होना
हार्ट फेलियर और किडनी से जुड़ी परेशानियां
हाथ-पैर की उंगलियों का रंग बदलना
आंख और गर्दन में दर्द
कंधे में दर्द और झुनझुनाहट
हाथ-पैर सुन्न होना
खांसी के साथ खून आना और सीने में दर्द
सांस लेने में तकलीफ
स्किन का रंग लाल होना
हाई ब्लड प्रेशर
दिल की धड़कन का अनियमित होना
इस बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं पडती और यदि दर्द आपकी दिनचर्या को भी प्रभावित नहीं करता। इसे केवल व्यायाम और प्राणायाम के द्वारा छुटकारा मिल सकता है।
उपरोक्त् लक्षणों से प्रभावित मरीज की धमनियों के कुछ परीक्षण किये जाते हैं। इनमें से पैर की धमनियों का रंगीन डाप्लर या अल्ट्रासाउंड से पता चल जाता है कि रक्त प्रवाह में रूकावट कहां आ रही है। दूसरा शल्य चिकित्सा से पहले एंजियोग्राम के द्वारा किया जाता है। सामान्य ऑपरेशन के लिए रोगी को एक दो दिन ही में अस्पताल में रहने की आवश्यकता होती है। यह तकनीकि एंजियोप्लास्टी कहलाती है, जिसमें धमनियों को गुब्बारे की तरह चौडा किया जाता है। यह धमनियों की स्थिति और उसमें रूकावट पर निर्भर करती है।
दूसरी तकनीकि बाईपास सर्जरी शल्य चिकित्सा है, जिसमें मरीज को 7-10 दिन तक अस्पताल में रहना पड सकता है। शल्य चिकित्सा के अलावा, प्राणायाम और पैरों के आसनों के द्वारा इस बीमारी से काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।
वैस्कुलर डिजीज में उपयोगी आसन
ताडासन
सीधे खड़े हो जाए और पैरों के बीच कुछ दूरी रखें।
दोनों हाथों अपने शरीर के पास में सीधा रखें।
अब गहरी सांस लेते हुए अपनी दोनों बाजुओं को सिर के ऊपर उठाएं।
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अपनी उंगलियों को आपस में बांध लें।
हाथों को सीधा रखें और स्ट्रेच करें।
अपनी एड़ी उठाते हुए अपने पैर की उंगलियों पर खड़े हो जाएं।
इस दौरान आपके शरीर में पैरों से लेकर हाथों की उंगलियों तक स्ट्रेच महसूस होना चाहिए।
10 सेकेंड के लिए इस स्थिति में रहें और सांस लेते रहें।
अब सांस छोड़ते हुए अपनी शुरुआती अवस्था में आ जाएं।
इस आसन को 10 बार दोहराएं।
उत्तानपाद आसन
उत्तानपादासन में उत का अर्थ है “ऊपर उठाना”, तान का मतलब है “खींचना” , पाद का अर्थ है “पैर” और जैसा की नाम से ही पता चल रहा है, इस योगासन को करते हुए पैरों को ऊपर की दिशा में उठाना पड़ता है। इस आसन को कई बार “द्विपदासना” भी कहते हैं। पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में भी यह आसन बेहद लाभदायक माना जाता है। इस आसन को कोई भी कर सकता है, लेकिन पहले इसका अच्छे से अभ्यास कर लेना जरूरी है।
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उत्तानपादासन करने के लिए सबसे पहले एक दरी लें और किसी शांत जगह पर इसे बिछा दें।
इस मैट पर पीठ के सहारे सीधा लेट जाएं।
अपने दोनों पैरों को आपस में जोड़ लें। इस दौरान आपके दोनों पैरों की एड़ियां और उंगलियां आपस में छूनी चाहिए।
अपने दोनों हाथ अपने शरीर के पास में रखें और आपकी हथेलियां जमीन के साथ टच करें।
अब सांस अंदर खींचे और अपनी दाईं टांग को ऊपर 30 डिग्री के कोण तक उठायें।
कुछ देर बाद सांस बाहर छोड़ें और अपनी इस टांग को धीरे-धीरे नीचे की तरफ ले आएं।
कुछ देर आराम करने के बाद इसी प्रक्रिया को दूसरी टांग के साथ दोहराएं।
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