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Vimla Sharma

मोबाइल छीन रहा है बचपन | Childhood is snatching mobile

Updated: Sep 5, 2022




मोबाइल और साइबर एडिक्शन अब एक गंभीर समस्या बनती जा रही है जो हमारी और बच्चों की दिनचर्या पर बुरा असर डाल रही है। कई मामलों में तो ये जिंदगी को भी खतरे में डाल रही है। मोबाइल एडिक्शन में सबसे बड़ी समस्या इसकी पहचान को लेकर होती है। आखिर कैसे पता चले कि मोबाइल इसकी जरूरतभर है या एक लत बन गई है।

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कोरोना-19 को आए तीन सालों से अधिक हो चुका है इस बीच बहुत कुछ बदल चुका है। लोगों की लाइफ और दिनचर्या बिल्‍कुल ही बदल गई है। हम सभी डिजीटल अधिक हो गए हैं। हमारे अधिकतर सभी काम मोबाइल से ही होते हैं। काम तक तो ठीक है लेकिन कारोना-19 के दौरान सभी स्‍कूल बंद क दिए गए थे, बच्‍चों की पढाई का नुकसान न हो इसके लिए ऑनलाइन क्‍लासिस शुरू कर दी गईं। हम बच्‍चों को मोबाइल से बच्‍चों को दूर रखना चाहते थे, क्‍योंकि मोबाइल से बच्‍चों को काफी नुकसान होता है, लेकिन हुआ इसका उल्‍टा ही, आज बच्‍चों की निर्भरता मोबाइल प अधिक बढ गई है। बच्‍चों को लगाता फोन पर काम करने से एक लत सी लग गई है। मोबाइल की लत बच्चों का बचपन छीन रही है। मोबाइल की लत बच्चों पर इस कदर हावी हो रही है कि बच्चे इसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं।



जेटली कहती हैं कि माता-पिता इस बात में गर्व महसूस करते हैं कि उनके बच्चों के पास स्मार्टफोन है। आज माता-पिता बच्चों को मंहगा मोबाइल फोन दिलाकर समाज सोसायटी में अपना उच्च स्तर दर्शाना चाहते हैं। माता-पिता, बच्चों को मोबाइल इसलिए भी देते हैं ताकि कुछ देर के लिए बच्चे का मन बहल जाए और माता-पिता कुछ काम खत्म कर सकें या फिर बच्चों को खाना खिला सकें। यह सही नहीं है बल्कि एक समस्या है। बच्चों पर यदि नजर ना रखी जाए तो वे ब और इंटरनेट पर कुछ भी देख सकते हैं जो नहीं देखना चाहिए। यह बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है।


जब बच्चे बहुत छोटे होते हैं तभी से इस समस्या की शुरुआत हो जाती है लेकिन पैरेंट्स इस आने वाले खतरे को समझ नहीं पाते। 10 साल या उसके आसपास के बच्चे ही नहीं बल्कि इन दिनों तो बहुत छोटे यानी 3-4 साल के बच्चे भी मोबाइल और टैबलेट स्क्रीन से इतने ज्यादा चिपके रहते हैं जितना पहले कभी नहीं थे।



बच्चों को स्मार्ट फोन देना ही नहीं चाहिये-

  • यदि बच्चों की उम्र 6 से 12 के बीच में हैं और बच्चा घर से कहीं बाहर जा रहा है तो बच्चे का संपर्क में रहना आवश्यक है। ऐसी स्थिति में बच्चे के स्मार्टफोन के स्थान पर साधारण फोन दें। इससे आपकी दोनों ही समस्या हल हो जायेंगी। बच्चा आपके संपर्क में रहेगा और स्मार्टफोन से संबंधित अन्य समस्याओं से भी बचा रहेगा।


  • डॉ. जेटली की ही तरह देशभर के कई और मेडिकल प्रफेशनल्स हैं जो इस बात को लेकर चिंतित हैं कि किस तरह छोटे बच्चों में मोबाइल की लत लग गई है जो बच्चों के लिए सामाजिक के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी खड़ी हो रही हैं। बेहद कम उम्र में जब बच्चों को मोबाइल गेम्स या फोन पर किसी और चीज की लत लग जाती है तो बच्चे खाना-पीना, साफ-सफाई जैसी बातों को भूलकर बच्चे चिड़चिड़े और आक्रामक हो जाते हैं।

  • स्मार्टफोन के इस्तेमाल से बच्चों की आंखें भी खराब हो सकती हैं।

  • मोबाइल और साइबर एडिक्शन अब एक गंभीर समस्या बनती जा रही है जो हमारी और बच्चों की दिनचर्या पर बुरा असर डाल रही है। कई मामलों में तो ये जिंदगी को भी खतरे में डाल रही है, मोबाइल एडिक्शन में सबसे बड़ी समस्या इसकी पहचान को लेकर होती है। आखिर कैसे पता चले कि मोबाइल इसकी जरूरतभर है या एक लत बन गई है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि मां-बाप को मोबाइल के लती बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताना चाहिए। बच्चों को गैजेट्स से दूर रखना चाहिए। कम से कम एक वक्‍त का खाना अपने बच्चों के साथ खाना चाहिए। मोबाइल और गैजेट्स की लत हटाने के लिए डिजिटल डिटॉक्स की मदद भी ले सकते हैं, यानी कुछ दिनों तक मोबाइल और इंटरनेट से छुट्टी।



  • डिजिटल डिटॉक्स का एक बड़ा फायदा ये है कि छुट्टियां का पूरा मजा आप असली दुनिया में उठाते हैं, मोबाइल की आभाषी दुनिया में नहीं। मोबाइल की लत मिटाने के लिए उससे गैर-जरूरी नोटिफिकेशन हटाना भी बेहतर उपाय है। और, सबसे अच्छा तो यही है कि परिवार के साथ ज्यादा समय बातचीत और खेलकूद में बिताया जाए।


IN ENGLISH


Mobile and cyber addiction is now becoming a serious problem which is affecting our daily routine and that of our children. In many cases, it is even endangering life. The biggest problem in mobile addiction is its identity. After all, how to know whether mobile is its need or has become an addiction.

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It has been more than three years since Corona-19 came, in the meantime a lot has changed. The life and routine of people has completely changed. We have all become more digital. Most of our work is done by mobile. All schools remained closed during Karona-19, online classes were started so that children's education is not harmed. We wanted to keep the children away from the mobile, because the mobile causes a lot of harm to the children, but on the contrary, today the dependence of the children on the mobile has increased more. Children have become accustomed to constantly working on the phone. Mobile addiction is snatching the childhood of children. Mobile addiction is dominating the children so much that children are ready to do anything for it.



  • Dr. Jaitley says parents take pride in the fact that their children have smartphones. Today parents want to show their high status in the society by providing expensive mobile phones to the children. Parents also give mobiles to children so that the child's mind can be relaxed for some time and the parents can finish some work or feed the children. This is not correct but a problem. If children are not monitored, they can see anything on the Internet and which should not be seen. It is extremely dangerous for children.

  • This problem starts when the children are very young, but the parents do not understand this impending danger. Not only children of 10 years or around, but these days even very young children i.e. 3-4 years old are more glued to mobile and tablet screens than ever before.

  • Like Dr. Jaitley, there are many other medical professionals across the country who are concerned about how mobile addiction among young children is causing social as well as health problems for the children. At a very young age, when children get addicted to mobile games or anything else on the phone, then children become irritable and aggressive, forgetting things like food, drink, cleanliness.

  • The use of smartphones can also damage the eyes of children.

  • Mobile and cyber addiction is now becoming a serious problem which is affecting our daily routine and that of our children. In many cases, it is endangering even life, the biggest problem in mobile addiction is its identity. After all, how to know whether mobile is its need or has become an addiction. Psychologists say that parents should spend quality time with mobile-addicted children. Children should be kept away from gadgets. At least one meal should be eaten with your children. You can also take the help of digital detox to remove the addiction of mobile and gadgets, that is, leave from mobile and internet for a few days.



  • One of the big advantages of digital detox is that you get to enjoy the holidays completely in the real world, not in the virtual world of mobile. To eradicate mobile addiction, removing unnecessary notifications from it is also a better solution. And, the best is to spend more time with family in conversation and sports.



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