नए वैरिएंट के साथ आये कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने एक बार फिर कोहराम मचा दिया है। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि इस बार इससे संक्रमित बच्चे और युवा भी हो रहे हैं, जिनमें पीडित बच्चों की संख्या अधिक है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि यह नया वैरिएंट कोरोना वायरस ब्रिटेन से आया है। जिसने एक बार फिर पूरी दुनिया को बीमार कर दिया है। अगर सावधानी नहीं बरती गई तो बच्चों में कोरोना के केस और अधिक बढेंगे। इसलिए सभी को स्वयं के साथ-साथ बच्चों को लेकर लापरवाह नहीं होना चाहिए।
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कोरोना-19 को आये एक वर्ष से ऊपर का समय हो चुका है, किन्तु कोई राहत मिलती नजर नहीं आती। बल्कि यह निरंतर भयावह होता जा रहा है। नए वैरिएंट के साथ आये कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने एक बार फिर कोहराम मचा दिया है। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि इस बार इससे संक्रमित बच्चे और युवा भी हो रहे हैं, जिनमें पीडित बच्चों की संख्या अधिक है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि यह नया वैरिएंट कोरोना वायरस ब्रिटेन से आया है। जिसने एक बार फिर पूरी दुनिया को बीमार कर दिया है। अगर सावधानी नहीं बरती गई तो बच्चों में कोरोना के और अधिक बढेंगे। इसलिए सभी को स्वयं के साथ-साथ बच्चों को लेकर लापरवाह नहीं होना चाहिए। नये वैरिएंट कोरोना वायरस के लक्षण भी भिन्न हैं। इसपर अभी शोध जारी है। इसलिए जरा भी अस्वस्थता महसूस करें तो तुरंत अपना टेस्ट करायें और चिकित्सक की सलाह लें।
नये वैरिएंट करोना वायरस के बच्चों में लक्षण
बुखार आना
रैशेज होना
खांसी-जुकाम होना
किसी भी चीज का स्वाद न आना
सूखी खांसी होना
थकान होना
नाक बहना
बदन व सिर में दर्द होना
सांस फूलना
उल्टियां होना
पेट में दर्द
छाती में दर्द
त्वचा में रूखापन आदि।
उपरोक्त नये वैरिएंट कोरोना वायरस के लक्षण हैं। ये लक्षण कुछ में तो नजर आ रहे हैं कुछ में नहीं। लेकिन अधिकतर बच्चे असिम्प्टमैटिक हैं यानि उनमें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं होते। ऐसी स्थिति में में बच्चों को डॉक्टर को अवश्य दिखाएं और डॉक्टर की सलाह पर कोरोना टेस्ट करायें। अगर परिवार में किसी अन्य को भी कोरोना है तो भी बच्चों का टेस्ट अवश्य करायें। अधिकतर बच्चों में कोरोना के लक्षण नजर नहीं आ रहे किन्तु वह कोरोना से पीडित हो सकते हैं।
शिशु आमतौर पर कोरोना के लक्षणों के बारे में स्वयं नहीं बता सकते, ऐसे में अगर बच्चा कम खाने लगे, बेहद सुस्त लगे तो डॉक्टर को दिखायें। किसी भी बच्चे को बुखार, खांसी-जुकाम में 3-4 दिन के बाद भी आराम नहीं मिल रहा हो तो कोरोना टेस्ट अवश्य करायें।
डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे किसी भी उम्र में कोरोना से सुरक्षित नहीं हैं। मगर बच्चे जितने बडे होते हैं, संक्रमित होने की संभावना उतनी ही अधिक है। नए वैरिएंट कोरोना से 14-15 साल के बच्चे अधिक शिकार बन रहे हैं। क्योंकि छोटे बच्चे बाहर वालों के संपर्क में कम ही आ पाते हैं इसलिए उन्हें खतरा तक नहीं हैं जब कि वह बाहर न जाएं या फिर घर में कोई कोरोना संक्रमित न हो।
नए वैरिएंट कोरोना वायरस की गंभीरता को पहचानें।
नये वैरिएंट करोना वायरस के बच्चों में लक्षण
बुखार आना
रैशेज होना
खांसी-जुकाम होना
किसी भी चीज का स्वाद न आना
सूखी खांसी होना
थकान होना
नाक बहना
बदन व सिर में दर्द होना
सांस फूलना
उल्टियां होना
पेट में दर्द
छाती में दर्द
त्वचा में रूखापन आदि।
अभी कोरोना पर रिसर्च जारी है। ऐसे में नए-नए लक्षण भी सामने आ रहे हैं। जैसे आंखों का लाल होना, आंखों में पानी आना आदि।
ऐसे कौन से लक्षण हैं जिससे यह अंदाजा लगाया जा सके कि बच्चों की हालत में सुधार हो रहा है या बच्चों की हालत बिगड रही है?
मैक्स हॉस्पिटल के सीनियर पीडियाट्रिशियन के अनुसार अगर बच्चे का बुखार 4-5 दिन बाद कम होना शुरू हो जाता है या बीमारी के लक्षण कम होने आरम्भ हो जाते हैं तो इसका अर्थ है कि बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। लेकिन इसके विपरीत यदि 4-5 दिन से अधिक तेज बुखार है, कोरोना के अन्य लक्षण भी सामने आ रहे हैं, छाती में दर्द की शिकायत है, उंगलियों का रंग बदल रहा है, ऑक्सीजन लेवल 94-95 से कम हैं तो बच्चे को तुरंत डॉक्टर को दिखायें।
वायलर फीवर और कोरोना के लक्षण कुछ मिलते-जुलते हैं, जिससे पैरेंट्स के लिए पहचानना थोडा मुश्किल होता है कि बच्चे को कोरोना है या फिर वायरल फीवर। आप निम्न तरीकों से कोराना और वायरल फीवर में अंतर आसानी से कर सकते हैं और अपने बच्चों को कोरोना से सुरक्षित रख सकते हैं।
बच्चों में फीवर और कोरोना के लक्षणों में अंतर
वायरल फीवर
वायरल फीवर में गंध और स्वाद नहीं जाता।
आमतौर पर 3-4 दिन में फीवर ठीक हो जाता है।
परिवार में सबमें नहीं फैलता यानि अन्य लोगों में वायरल फीवर के लक्षण नहीं होते।
परिवार में किसी को करोना नहीं होता।
कोराना के लक्षण
बुखार 4-5 दिनों से अधिक रहता है।
इसमें गंध और स्वाद दोनों ही चले जाते हैं।
पूरे परिवार में यही लक्षण नजर आ सकते हैं।
परिवार में किसी को भी कोराना हो सकता है।
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