प्राचीन काल से ही वास्तु शास्त्री, औषधाीय गुणों से युक्त पेड़-पौधों को ही नहीं, बल्कि सजावटी पौधों को भी घरों में उगाए जाने के प्रबल पक्षधार थे। उन्होंने वाटिकाओं को गृह-निर्माण का अभिन्न अंग माना था। उन्होंने बताया कि पेड़-पौधों और जड़ी-बूटियों के औषधाीय व ऊर्जादायक गुणों का लाभ लेने के लिए किस-किस प्रकार के पेड़-पौधों को घर की किस दिशा में और किस प्रकार लगाना चाहिए।
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प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनि सदैव इस बात के पक्षधर रहे हैं कि आवासीय घर हमेशा विभिन्न प्रकार के फल-फूलों के वृक्षों के बीच होने चाहिए। प्राचीन वास्तुशास्त्री औषधीय गुणों से युक्त पेड़-पौधों को भी घरों में उगाए जाने के प्रबल पक्षधर थे। उन्होंने वाटिकाओं को गृह-निर्माण का अभिन्न अंग माना। उन्होंने बताया कि पेड़-पौधों और जड़ी-बूटियों के औषधीय व ऊर्जादायक गुणों का लाभ लेने के लिए किस-किस प्रकार के पेड़-पौधों को घर की किस दिशा में और किस प्रकार लगाया जाना चाहिए।
कहा जाता है कि धन-सम्पदा की देवी लक्ष्मी उस घर में पीढ़ियों तक निवास करती है जिसमें बिल्व वृक्ष लगा हो। यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपने घर में फलदार और फूलों के वृक्ष या पौधे लगाता है वह सद्गुणों से सफलता प्राप्त करता है और सुख-समृद्धि युक्त जीवन जी कर निरोगी जीवन व्यतीत करता है।
वास्तु विशेषज्ञों ने भी गृह निर्माण के लिए कुछ निश्चित नियम और व्यवस्था पर जो दिया है, जोकि निम्न प्रकार से हैं-
मुख्य भवन को चारदीवारी से पूरी तरह से अलग और स्वतंत्र होना चाहिए। चारदीवारी और मुख्य भवन के बीच एक दिशा में नौ भाग में से कम से कम एक भाग छोड़कर ही निर्माण करना चाहिए।
भूखण्ड में निर्माण करते समय चार दीवारी के भीतर, उत्तर व पूर्व में अधिक जगह तथा दक्षिण व पश्चिम में कम जगह छोड़ी जानी चाहिए।
घरेलू वाटिका के लिए उत्तर-पश्चिम (वायव्य) दिशा सबसे अधिक उपयुक्त है।
घने व पत्ते वाले वृक्ष जैसे अशोक, बिल्व, नीम आदि और फलदार वृक्ष जैसे केला, अमरूद, नारियल आदि मुख्य भवन की दक्षिण और पश्चिम दिशा में लगाएं। इस क्षेत्र में पेड़ लगाने से यह गर्म हवा को गृहस्वामी के कमरे में आने से रोकेंगे। सर्दियों में यही पेड़ फिल्टर का कार्य करेंगे।
वास्तु शास्त्र के अनुसार धूप की कमी आपके आसपास नेगेटिव एनर्जी को बढ़ावा देती है, इसलिए आपको ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन अगर आप घर में कुछ में सावधानी बरतें, तो इनसे बच सकते हैं।
घर के उत्तरपूर्व दिशा के मध्य में बैम्बू या मनीप्लांट का पौधा रखें, इससे न सिर्फ धन में वृद्धि होती है बल्कि सकारात्मक माहौल भी बनता है।
औषधीय गुणों से युक्त पौधे, फूलों के पौधे और सजावटी पौधे घर के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में लगाने चाहिए। ऐसे ही कुछ पौधों में तुलसी का महत्वपूर्ण स्थान है।
डर्बी घास अपने औषधिय गुणों के कारण जाती है। प्राचीन काल से आज तक विशेषकर सनातन धर्म के लोगों के घरों में तुलसी का पौधा लगाने की परंपरा रही है। इसलिए घर के कुछ हिस्से में घास भी लगानी चाहिए।
यदि घर का आंगन काफी बड़ा हो तो उसमें आंवला, अमरूद, पपीता, अनार आदि लगाये जा सकते हैं। अन्यथा इन वृक्षों का दक्षिण-पश्चिम में लगाया जाना चाहिए।
बड़े पेड़ों को मुख्य भवन से इतनी दूर लगाया जाना चाहिए कि उनकी छाया पूर्वान्ह 9 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच मुख्य भवन पर न पड़े। ऐसा होने पर उस घर के निवासी कॉस्मिक ऊर्जा से वंचित हो जाते हैं।
घर के मुख्य द्वार के सामने कोई पेड़ नहीं लगाना चाहिए क्योंकि वे सूर्य की किरणों और हवा के घर में प्रवेश को रोकते है। इस प्रकार के पेड़ वास्तु के हिसाब से सही नहीं समझे जाते है।।
कांटेदार पौधे जैसे कैक्टस, गुलाब, आदि को घर में नहीं लगाना चाहिए। ये पौधे अशुभ फलदायक होते हैं।
यदि छत पर काफी स्थान है और किचन गार्डन का शौक है तो टेरे पर जो आमतौर से उत्तर-पूर्व में बनाया जा सकता है। वहां गमलों में कुछ पौधे लगाकर रखे जा सकते हैं।
आमतौर पर मौसम का बदलाव, केवल मनुष्य के खानपान और पहनावे तक ही रह जाता है। लेकिन यदि आप इन बदलावों के साथ अपनी दिनचर्या और बदलते मौसम में वास्तुशास्त्र को भी महत्व देंगे तो आप बदलते मौसम का भरपूर आनन्द ले सकेंगे। इससे आपके आसपास के माहौल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और निजी जीवन में सकारात्मक प्रभाव महसूस करेंगे।
दिल्ली में हवा की गुणवत्ता चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) की छह श्रेणियां हैं - अच्छी, संतोषजनक, मध्यम प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर है। इनमें से प्रत्येक श्रेणी वायु प्रदूषकों की मात्रा और उनके संभावित स्वास्थ्य प्रभावों के आधार पर तय की जाती है।
यह तो सभी जानते हैं कि पौधे वायु प्रदूषण को काफी हद तक कम करते हैं। इसलिए बदलते समय को देखते हुए सभी को अपने घरों में क्षमता के अनुसार वाटिका अवश्य बनानी चाहिए।
प्रदूषित हवा अस्थमा, दिल के रोगियों को ज्यादा प्रभावित कर रही है जो पहले से सांस की समस्याओं जैसे ब्रॉंकियल अस्थमा, क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिस्ऑर्डर, फेफड़ों के रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस, फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित हैं। इसके अलावा बुजुर्गाे और कम प्रतिरक्षी क्षमता वाले लोगों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। इसलिए ऐसे व्यक्तियों को चाहिए कि वह जहां तक हो सके, प्रदूषित हवा के सम्पर्क में आने से बचें, वायू प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनें।
प्रदूषण से होने वाले नुकसान से स्वयं को कैसे बचायें-
घर की भीतरी हवा की गुणवत्ता को नियन्त्रित रखने के लिए हवा को फिल्टर करने वाले पौधे घर में लगाएं। जहरीली गैसों को कम करने के लिए कुछ पौधे बेहद काम आ सकते हैं। इन्हें एयर फिल्टरिंग प्लांट भी कहा जाता है।
अपने घर के आस-पास प्रदूषण कम करने के लिए पेड़ लगाएं।
आप घर में एलो वेरा, लिली, स्नेक प्लांट (नागफनी पौधा), पाइन प्लांट (देवदार का पौधा) मनी प्लांट, अरीका पाम और इंग्लिश आइवी लगा सकते हैं। यह पौधे घर की हवा को साफ करने में मददगार साबित होते हैं।
IN ENGLISH
Since ancient times, sages have been in favor of the fact that residential houses should always be in the middle of different types of fruit trees. Ancient Vastushastras were strongly in favor of growing trees and plants with medicinal properties in homes. He considered gardens as an integral part of house-building. He explained that to take advantage of the medicinal and refreshing properties of plants and herbs, what kind of trees and plants should be planted in which direction of the house and in what way.
It is said that in the house where Bilva (Bael) tree is planted, Lakshmi, the goddess of wealth, resides for generations in that house.It is also said that the person who plants fruitful and flowering trees or plants in his house, he achieves success with virtues and leads a healthy life, living a life full of happiness and prosperity.
Vastu experts have also given some special rules for house construction, which are as follows-
The main building should be completely separate and independent from the boundary wall. Out of the nine parts between the boundary wall and the main building, at least one part should be constructed except in one direction.
While constructing the plot, more space should be left in the north and east and less space in the south and west within the four walls.
The North-West (Northwest) direction is most suitable for the garden of the house.
Plant dense and leafy trees like Ashoka, Bilva, Neem etc. and fruit trees like banana, guava, coconut etc. in the south and west direction of the main building.
Planting trees in this area will prevent hot air from entering the home owner's room. These trees will act as filters in winter. According to Vastu Shastra, lack of sunlight promotes negative energy around you, hence you have to face such problems. But if you take some precautions at home, you can avoid them. Plant bamboo or money plant in the middle of the north-east direction of the house, this not only increases wealth but also creates a positive environment. Plants with medicinal properties, flowering plants and ornamental plants should be planted in the north-east area of the house. In which Tulsi plant has an important place.
Derby grass is known for its medicinal properties. From ancient times till today, there has been a tradition of planting Tulsi plant especially in the homes of the people of Sanatan Dharma. That's why grass and basil plant must be planted in some part of the house.
If the courtyard of the house is big enough, then Amla, Guava, Papaya, Pomegranate etc. can be planted in it. These trees should be planted in the southwest angle.
Big trees should be planted at such a distance from the main building that between 9 am and 3 pm their shadow should not fall on the main building.
When this happens, the residents of that house are deprived of cosmic energy. No tree should be planted in front of the main door of the house as it blocks the sun rays and wind from entering the house.
These types of trees are not considered correct according to Vastu.
Thorny plants like cactus, rose etc. should not be planted in the house. These plants are supposed to give inauspicious fruits.
If there is enough space on the terrace and gardening is a hobby, then kitchen garden can be made on the terrace which is generally in the North-East. Whereas some plants can be kept in pots.
Generally, the change of weather remains till the food and drink of man. But if you give importance to Vastu Shastra along with these changes in your routine and changing season, then you will be able to enjoy the changing season to the fullest. This will spread positive energy in your surroundings and you will feel positive effects in your personal life. The air quality in Delhi has reached worrying levels. The air quality index (AQI) has six categories - good, satisfactory, moderately polluted, poor, very poor and severe. Each of these categories is based on the amount of air pollutants and their potential health effects.
It is known to all that plants reduce air pollution to a great extent. Therefore, looking at the changing times, everyone must make a garden in their homes according to their ability.
Polluted air is affecting asthmatics, heart patients who are already suffering from breathing problems like bronchial asthma, chronic obstructive pulmonary disorder, lung diseases, cystic fibrosis, lung cancer. Apart from this, it is also having a bad effect on the elderly and people with low immunity. That's why such people should avoid coming in contact with polluted air as far as possible, must wear a mask to avoid air pollution.
How to protect yourself from the harm caused by pollution-
Install an air filtering plant at home to control the quality of indoor air. Some plants can be very useful in reducing toxic gases. These are also called air filtering plants. Plant trees around your house to reduce pollution. You can plant aloe vera, lily, snake plant, pine plant, money plant, areca palm and English ivy at home. These plants prove to be helpful in cleaning the air of the house.
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