मेडिटेशन जिस तरह से बड़ों के लिए फायदेमंद है ठीक उसी तरह से इसका पॉजिटिव असर बच्चों पर भी होता है। ऐसे में बच्चों को भी मेडिटेशन करना चाहिए। खासकर, सर्दियों में बच्चों की सेहत के लिए मेडिटेशन और भी जरूरी हो जाता है। ऐसा नहीं है कि बच्चों के लिए मेडिटेशन करना बहुत मुश्किल है। मेडिटेशन के कुछ टिप्स अपनाकर आराम से मेडिटेशन आप अपने बच्चों को भी करवा सकते हैं।
मेडिटेशन बच्चों के लिए भी उतना ही फायदेमंद और ज़रूरी है जितना कि बड़ों के लिए, लेकिन हां बच्चों को मेडिटेशन सिखाने का तरीका थोड़ा अलग होता है। उन्हें आसान और मज़ेदार तरीके से ध्यान लगाना सिखाएं ताकि वह बोर न हों, क्योंकि यदि कोई काम उन्हें पसंद नहीं आएगा तो वह दोबारा नहीं करेंगे।
मेडिटेशन जिस तरह से बड़ों के लिए फायदेमंद है ठीक उसी तरह से इसका पॉजिटिव असर बच्चों पर भी होता है। ऐसे में बच्चों को भी मेडिटेशन करना चाहिए। खासकर, सर्दियों में बच्चों की सेहत के लिए मेडिटेशन और भी जरूरी हो जाता है। ऐसा नहीं है कि बच्चों के लिए मेडिटेशन करना बहुत मुश्किल है। मेडिटेशन के कुछ टिप्स अपनाकर आराम से मेडिटेशन आप अपने बच्चों को भी करवा सकते हैं।
आपके लिए खतरे की घंटी
मेडिटेशन जितना आवश्यक बडों के लिए है, उससे कहीं अधिक जरूरी बच्चों के लिए है। आज हर ओर कॉम्पीटीशन बढ गया है जिसका सीधा असर बच्चों पर पड रहा है। घर में माता-पिता का दवाब, बाहर स्कूल व कोचिंग का दवाब, समय के साथ चलना भी आवश्यक है। लेकिन इन का सीधा प्रभाव बच्चों के कोमल मन और तन दोनों पर पड रहा है। बच्चों के पास खेलने तक का समय नहीं है, बच्चों का बचपन कहीं खोता जा रहा है। कोरोना काल में यह समस्या और भयावह हो गयी है। बाहर जा नहीं सकते, घर में इंडोर गेम के अलावा कुछ नहीं है। अगर है तो मोबाइल, ऑन लाइन पढाई ने यह समस्या और बढा दी है। हम माता-पिता बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहते थे किन्तु हुआ इसका उल्टा ही। आज पढाई हो या एग्जाम, सभी के लिए मोबाइल चाहिए। मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से बच्चों की सेहत को लेकर फिक्र होती है, लेकिन कर कुछ नहीं सकते, सभी परिस्थियों के आगे लाचार हैं।
हां, इतना जरूर है कि हम इसके कुप्रभाव को कम करने का प्रयास अवश्य कर सकते हैं। इसका एक ही उपाय है कि हम बच्चों को योगा, मेडिटेशन आदि करवायें। इसके कई लाभ हैं। बच्चों का मानसिक तनाव कम होगा, ठहराव आयेगा, मन एकाग्रचित होगा। मेडिटेशन से न सिर्फ ध्यान आपके काम पर अधिक लगता है बल्कि आपकी कार्यक्षमता भी बढ़ जाती है। जो बच्चे बहुत अधिक चंचल होते हैं उन्हें खासतौर पर मेडिटेशन करना चाहिए।
सर्व प्रथम हम चर्चा करेंगे मोबाइल से होने वाले नुकसान की।
साधाण फोन की तुलना में स्मार्टफोन अधिक हानि पहुंचाते हैं।
देशभर के कई मेडिकल प्रफेशनल्स इस बात को लेकर चिंतित हैं कि किस तरह छोटे बच्चों में मोबाइल की लत लग गई है जो बच्चों के लिए सामाजिक के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी खड़ी हो रही हैं। बेहद कम उम्र में जब बच्चों को मोबाइल गेम्स या फोन की लत लग जाती है, बच्चे खाना-पीना, साफ-सफाई जैसी बातों को भूलकर बच्चे चिड़चिड़े और आक्रामक हो जाते हैं। स्मार्टफोन के इस्तेमाल से बच्चों की आंखें भी खराब हो सकती हैं।
मोबाइल और साइबर एडिक्शन अब एक गंभीर समस्या बनती जा रही है जो हमारी और बच्चों की दिनचर्या पर बुरा असर डाल रही है। कई मामलों में तो ये जिंदगी को भी खतरे में डाल रही है। मोबाइल एडिक्शन में सबसे बड़ी समस्या इसकी पहचान को लेकर होती है। आखिर कैसे पता चले कि मोबाइल इसकी जरूरतभर है या एक लत बन गई है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि मां-बाप को मोबाइल के लती बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताना चाहिए। प्रयास करें कि जब बहुत आवश्यक हो तभी बच्चों को मोबाइल दें। मोबाइल और गैजेट्स की लत हटाने के लिए डिजिटल डिटॉक्स की मदद भी ले सकते हैं, यानी कुछ दिनों तक मोबाइल और इंटरनेट से छुट्टी।
डिजिटल डिटॉक्स का एक बड़ा फायदा ये है कि छुट्टियां का पूरा मजा आप असली दुनिया में उठाते हैं, मोबाइल की आभाषी दुनिया में नहीं। मोबाइल की लत मिटाने के लिए उससे गैर-जरूरी नोटिफिकेशन हटाना भी बेहतर उपाय है। और, सबसे अच्छा तो यही है कि परिवार के साथ ज्यादा समय बातचीत और खेलकूद में बिताएं ।
मेडिटेशन के लाभ
मेडिटेशन करने से बच्चों को ध्यान केंद्रित करने में आसानी होती है, बच्चे पढ़ाई मन लगाकर कर पाएंगे।
मेडिटेशन से एकाग्रता बढ़ती है।
नींद अच्छी आती है।
सोच के तरीकों में बदलाव आता है। बच्चे सकारात्मक तरीके से चीज़ों को देखना शुरू करते हैं।
दिमाग शांत होता है और खुश रहते हैं।
तनाव मुक्त रहने से गुस्सा नहीं आता।
आत्मविश्वास बढ़ता है।
वर्तमान में जीना सीख जाते हैं।
मेडिटेशन से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
स्वयं निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है, जो उनके मानसिक विकास में सहायक है।
मेडिटेशन की सबसे ज्यादा जरूरत किसी को होती है, तो वे हैं बच्चे। इसलिए बच्चों को मेडिटेशन अवश्य करना चाहिए।
यह गलत धारणा है कि बच्चे मेडिटेशन नहीं कर पायेंगे। वह बोर हो जायेंगे। किन्तु आप यह जानकर हैरान होंगे कि अमेरिका के 1-6 प्रतिशत बच्चे नियमित रूप से मेडिटेशन करते हैं, भारत में इस सोच ने बच्चों को मेडिटेशन से दूर कर रखा है कि यह बड़ो के लिए है बच्चों के लिए नहीं। मेडिटेशन सनातन संस्कृति का हिस्सा है। हमारे गुरूकुल में बच्चों को मेडिटेशन नियमित रूप से कराया जाता था।
कैसे करायें बच्चों को मेडिटेशन?
बच्चे कोई भी बात आसानी से नहीं मानते। इसलिए बच्चों से जोर जबरदस्ती न करें। उन्हें यह बिल्कुल नहीं लगना चाहिए कि उनपर कोई चीज थोपी जा रही है क्योंकि जब कोई भी काम बच्चों से जबरदस्ती कराया जाता है तो वह उसे उस समय तो डर के कारण कर लेते हैं किन्तु बाद में विरोधी हो जाते हैं।
बच्चे शुरू से ही बंदरों की तरह नकलची होते हैं। जो बडे करते हैं वह वही करने का प्रयास करते हैं। इसलिए बच्चों से खेल-खेल में मेडिटेशन का अभ्यास करायें। आप जिस कमरे में मेडिटेशन करें, उस कमरे में बच्चे आपके आसपास ही होने चाहिए जिससे वह भी देख सकें कि आप क्या कर रहे हैं। इसलिए सीधे तौर पर बच्चों को सीधे मेडिटेशन करने के लिए न कहें। मेडिटेशन को थोड़ा खेल और थोड़ा चैलेंज की तरह उनके सामने पेश कीजिए। उससे कहिए कि यह मुश्किल तो ज्यादा नहीं है, पर तुम इसे नहीं कर पाओगे। यह उन पर थोड़ा संदेह जताते हुए कहिए। बच्चा तुरंत चैलेंज लेने के मूड में आ जाएगा। बोलेगा। मैं भी कर सकता हूं। रोज नहीं भी करता है, तो भी ठीक है वह किसी दिन मेडिटेशन करेगा और किसी दिन नहीं भी करेगा। रोज मेडिटेशन करने के लिए जोर मत डालिए। शुरू में सप्ताह में दो-तीन दिन भी अगर वह मेडिटेशन करता है, तो यह अच्छी शुरुआत है। जब बच्चा मेडिटेशन में रुचि लेने लगे तो आप अपने बच्चे को मेडिटेशन सीखने के लिए वर्कशॉप में भी लेकर जा सकते हैं।
जब बच्चे मेडिटेशन के लिए मान जाएं और पूरे मन से आपके साथ हों तो बच्चों को बतायें कि मेडिटेशन कराते समय उनके दिमाग में लगातार जो विचार आ-जा रहे हैं, उन्हें भूलने की कोशिश करें। अपना ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें ताकि वे मेडीटेशन का फायदा उठा सकें। हां, शुरुआत में थोड़ी सी मुश्किल जरूर आएगी, लेकिन धीरे-धीरे बच्चा मेडिटेशन करना सीख जाएगा और उसे इसमें मजा भी आने लगेगा। ध्यान भटकने से रोकने के लिए उसे ॐ या ओम का उच्चारण करवाएं।
मेडिटेशन से उनका चंचल मन शांत होगा। डिप्रेशन और तनाव से छुटकारा मिलेगा। इसका फायदा तभी होगा, जब आप बच्चे को प्रतिदिन मेडिटेशन करने के लिए प्रेरित करें। यदि बच्चे कभी-कभी ही इसे शौक के लिए करेंगे तो इसका उन्हें लाभ नहीं होगा। बहुत ज्यादा गुस्सा करता है या चिड़चिड़ा है तो उसे जरूर मेडिटेशन करने को कहें। इससे उसे अपने गुस्से पर काबू पाने में मदद मिलेगी। स्वस्थ तन-मन और सकारात्मक सोच के लिए मेडिटेशन करना बहुत जरूरी है।
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