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ऐलोवेरा गुणों में अद्वितीय है | Aloevera's unique benefits

Vimla Sharma

Updated: Oct 13, 2022



ऐलोवेरा के सेवन से शरीर से रोगाणु बाहर निकल जाते हैं, मल की शुद्धि हो जाती है, जठराग्नि बढ़ जाती है जिससे खाया हुआ भोजन अच्छी तरह से पचने लगता है। इसके सेवन से शरीर की सातों धातुओं की शुद्धि होती है। इसमें अनेक रोगों को दूर करने की क्षमता है। ऐलोवेरा के नियमित सेवन से कोविड- 19 जैसे जैविक संंक्रमण से भी लडा जा सकता है। क्योंकि ऐलोवेरा के सेवन से रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है। आज के समय में ऐलोवेरा किसी संजीवनी से कम नहीं है।


 

आज जिस प्रकार देश-दुनिया में बीमारियों का प्रकोप बढ रहा है किसी भी व्यक्ति का संक्रमण से बचना एक प्रकार से असंभव सा लगता है। किन्तु हमारे आयुर्वेद में ऐसी अनेक जडी-बूटियों का वर्णन मिलता है जिनके प्रयोग से हम आज भी स्वयं को परिवार को काफी हद तक सुरक्षित और स्वस्थ रख सकते हैं। जब हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो हम स्वयं को किसी भी बीमारी से बचा सकते हैं। आयुर्वेद में जिन जडी-बूटियों का वर्णन हैं उनमें से एक है- एलोवेरा। आज सभी इसके नाम से परिचित हैं।

एलोवेरा को संस्कृत में धृतकुमारी, घीकॅवार और ग्वारपाठे के नाम से जाना जाता है। यह खारी, रेतीली जमीन या नदी तट के आसपास पैदा होता है। जड़ के ऊपर से ही चारों ओर इसके पत्ते मोटे, गूदेदार, चिकने, प्रायः दो फुट लम्बे और चार इंच तक चौड़े होते हैं। इसके पत्तो के दोनों ओर काँटे होते हैं। पत्तों को छीलने पर इनके अंदर से गूदा (जैल) निकलता है।


एलोवेरा का पत्ता एलोवेरा के 1 से 2 वर्ष तक की उम्र वाले पौधे पर लगा हुआ पत्ता काफी फायदेमंद माना गया है। पत्ता जितना मोटा, लम्बा और वजन में भारी होता है, उतना ही औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसका रस स्वाद में कड़वा होता है। इसे फ्रिज में रखकर कई दिनों तक काम में ले सकते हैं। इसका पौधा कहीं भी मिट्टी में लगाकर घर में रखा जा सकता है।

एलोवेरा का सेवन हानिरहित है परन्तु गर्भावस्था के दिनों में स्त्रियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। सप्ताह में एक बार ग्वारपाठे की सब्जी और एक बार दाना मेथी की सब्जी अवश्य खानी चाहिए। कई बार बच्चों को इस ऐलोवेरा की सब्जी खिलाना बहुत ही मुश्किल कार्य है। इसके समस्या के समाधान के लिए जब भी हम घर में करेले की सब्जी बनायें, इसमें ही ऐलोवेरा की कुछ कटिंग मिला लें। दोनों का स्वाद काफी हद तक कडवा होता है। यदि फिर भी बच्चे ऐलोवेरा का सेवन न करें तो उन्हें ऐलोवेरा के जूस का सेवन अवश्य करायें।


ऐसी पौराणिक मान्यता है। इसके सेवन से शरीर से रोगाणु बाहर निकल जाते हैं, मल की शुद्धि हो जाती है, जठराग्नि बढ़ जाती है जिससे खाया हुआ भोजन अच्छी तरह से पचने लगता है। इसके सेवन से शरीर की सातों धातुओं की शुद्धि होती है। इसमें अनेक रोगों को दूर करने की क्षमता है।



एलोवेरा का प्रयोग आजकल पेय पदार्थ, टॉनिक और त्वचा की बीमारियों को ठीक करने हेतु किया जाने लगा है लेकिन सभी प्राकृतिक उपचारों की तरह इसका प्रयोग भी तभी अच्छा रहता है, जब हम इसे ताजा उपयोग में लें, क्योंकि इसके काटने और हवा के सम्पर्क में आने से यह कार्बनयुक्त हो जाता है। इस पौधे को घर में भी जितना हो सके, इसे प्राकृतिक रूप में ही उपयोग में लाना फायदेमंद होता है।



एलोवेरा के औषधीय गुणों के कारण इसका प्रयोग एक फर्स्ट ऐड किट के समान है जो बहुत सारे छोटे-मोटे रोगों को ना केवल जड़ से ठीक कर देता है बल्कि प्राथमिक उपचार में भी कारगर है-

एलोवेरा के बेहतरीन औषधीय गुण

मुँहासे

चेहरा धोकर एलोवेरा का रस मलें। फिर एक घंटे बाद धोयें। त्वचा रूखी होने पर नारियल के तेल में एलोवेरा के रस को मिलाकर लगायें। ऐलोवेरा क्रीम भी लगा सकते हैं।

एलर्जिक त्वचा

यह त्वचा की एलर्जी में फायदमंद है। एलोवेरा का रस, जहां पर एलर्जी हुई है वहां लगाने से लाभ होता है।

दांतों में फायदेमंद

दांतों के रोग मसूड़ों में दर्द सूजन- पायोरिया में एलोवेरा के रस या पेस्ट से मंजन करें।

एलोवेरा के गूदे, रस से चेहरा रगड़कर साफ करने से चेहरा कोमल, लचीला और आकर्षक हो जाता है। एलोवेरा के पोषक तत्व मृत कोशिकाओं को हटाकर नये कोश पैदा करते हैं। इस प्रकार त्वचा सुन्दर बन जाती है।

खांसी

खांसी होने पर आधा चम्मच गर्म घी में दो चम्मच एलोवेरा का गूदा मिलाकर भूनकर शहद के साथ दिन में तीन बार खाएँ। तीन-चार दिन में ही खाँसी, जुकाम से राहत मिल जाएगी।



फोड़े- फुंसी

फोडे-फुंसी यदि पकने के निकट हो तो एलोवेरा के गूदे को गर्म करके बाँधने से फोड़े की मवाद निकल कर, घाव जल्दी भर जाता है।

गाँठों की सूजन पर भी एलोवेरा के पत्ते को एक ओर से छीलकर तथा उस पर थोड़ा हल्दी पाउडर बुरककर तथा कुछ गरम करके बाँधने से लाभ होता है।

चोट या मोच होने पर एलोवेरा के गूदे में पिसी हुई हल्दी मिलाकर बाँधने से आराम मिलता है।

स्त्रियों के स्तन में चोट आदि के कारण या अन्य किसी कारण से गाँठ या सूजन होने पर एलोवेरा पर पिसी हल्दी डालकर गरम करके बाँधने से लाभ होता है। इसे दिन में 2-3 बार बदलना चाहिये।



घाव

एलोवेरा के पत्तो से निकले रस में पानी मिलाकर घाव पर लगाएँ। यह रस एन्टीसेप्टिक है जो घाव में दर्द और सूजन को कम करता है। यह जख्म की जगह पर खून की पूर्ति करता है और घाव को भरने में सहायक होता है।

त्वचा रोग

एलोवेरा त्वचा पर जादू की तरह प्रभाव डालता है, त्वचा के दाग-धब्बे, मुँहासे, खुरदरी, मृत त्वचा, गर्भावस्था में पेट पर हुए निशान, नाक-कान-गले के रोग, झुर्रियाँ को दूर करने में सफल है। एलोवेरा की ऊपरी सतह को काटें। अंदर से एक रंगहीन, लिसलिसा-सा पदार्थ निकलेगा, जो स्वाद में कड़वा होता है। इसे किसी एयर टाइट डिब्बे में डालकर फ्रिज में रखें। यह एलोवेरा जैल है। इस जैल को रोजाना चेहरे पर लगायें। चेहरा चमक उठेगा। त्वचा में कसावट आकर झुर्रियाँ दूर हो जायेंगी। इसे सारे शरीर पर मलने से भी लाभ ही होगा।


बालों की देखभाल के लिए

एलोवेरा का रस बालों की कंडीशनिंग के लिए अच्छा है। यह बालों को भरपूर पोषण देता है।

  • 25 ग्राम एलोवेरा के ताजा रस को शहद 2 ग्राम और आधे नींबू के रस को मिलाकर दो बार सुबह-शाम पीयें इससे खून साफ होता है।

  • सनबर्न होने पर एलोवेरा के जैल को लगाने से लाभ होता है। त्वचा के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं। एलोवेरा का सेवन रोगी को तो लाभ पहुँचाता ही है, साथ ही स्वस्थ व्यक्ति भी एलोवेरा का सेवन करके स्वास्थ्य और शक्ति से भरपूर हो सकता है। इसके सेवन से ताजगी और अच्छी नींद आती है।



  • सभी रोगों में शुरू-शुरू में दो चम्मच रस लें। धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाते जायें। एलोवेरा से लाभ धीरे-धीरे मिलता है। प्रारम्भ में प्रभाव करीब एक महीने के बाद अनुभव में आता है। तीन-चार महीनों में जरूर लाभ हो जाता है।

  • एलोवेरा के रस को लम्बे समय तक पीने से मधुमेह में लाभ होता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह पता चला है कि एलोवेरा का रस मधुमेह के रोगियों के शरीर में शुगर की मात्रा को कम करता है।

  • एलोवेरा का एक ओर छिलका हटाकर पैर के तलुओं में रात को सोते समय बाँधे तो नींद बढि़या आती है, आँखों की लालिमा दूर होती है। पैरों को जलन एवं टूटन में भी लाभ होता है। जो लोग स्वस्थ हैं वे सब्जी के रूप में इसका प्रयोग कर सकते हैं। इससे पाचन क्रिया में सुधार आता है।

  • वायुदोष होने पर एक किलो एलोवेरा का रस, शहद दो सौ ग्राम, सौंठ, मिर्च, पीपल, त्रिफला प्रत्येक का दस-दस ग्राम चूर्ण मिलाकर रख दें। प्रतिदिन भोजन के बाद 25 मिलीलीटर रस और इसके बराबर का पानी मिलाकर पीयें। पेट की बीमारियों और वायुदोष के लिए यह अत्यन्त लाभदायी है।



  • एलोवेरा का ताजा रस 5 चम्मच, शहद दो चम्मच और आधे नींबू का रस मिलाकर दो बार सुबह-शाम पीते रहने से सभी प्रकार के पेट के रोग ठीक हो जाते हैं।

  • सिरदर्द होने पर एलोवेरा के गूदे में थोड़ी दारु हल्दी का पाउडर मिलाकर गर्म करके फिर दर्द वाले स्थान पर लेप करने से लाभ मिलता है। एलोवेरा के गूदे को मसल करके या ताजे रस को माथे पर लेप करने से सिर दर्द दूर होता है।


  • जोड़ों का दर्द व वायु या वातदोष के लिए यह रामबाण है। गठिया, सूजन, दर्द एवं वायु की अन्य बीमारियों में परम्परागत रूप से इसका प्रयोग किया जाता है। यह वातदोष का निवारण करता है। वात दर्द वाली जगह पर दारु हल्दी का पाउडर छिड़ककर ऊपर से एलोवेरा के पत्ते को गर्म करके एक ओर का छिलका काटकर बाँधने से लाभ मिल जाता है।



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