आजकल बच्चे जंक-फूड का सेवन अधिक करते हैं जिससे बच्चों को पर्याप्त न्यूट्रीयन्स नहीं मिल पाते, जिससे बच्चों की हडिडयों का विकास ठीक से नहीं हो पाता। पैक्ड फूड और जंक फूड अधिक खाने से बच्चों का वजन तेजी से बढने लगता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। वजन अधिक होने से रीढ की हड्डी पर दवाब बढता है। जो पीठ दर्द का कारण हो सकता है। बच्चों में अगर बैकपेन के साथ ही, बच्चों का वजन भी घटने लगे, पैरों में कमजोरी, यूरिन में परेशानी, लेटने-उठने, बैठने-उठने में दर्द महसूस होना, जैसी परेशानियां आएं तो बच्चों को तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं।
अक्सर बच्चे पीठ दर्द की शिकायत करते हैं, यह स्वभाविक नहीं है। यह चिंता का विषय है। बच्चों के पीठ दर्द को हल्के में नहीं लेना चाहिए। पीठ दर्द होने पर बच्चों की शारीरिक जांच करवानी चाहिए। बच्चों में अगर बैकपेन के साथ ही, बच्चों का वजन भी घटने लगे, पैरों में कमजोरी, यूरिन में परेशानी, लेटने-उठने, बैठने-उठने में दर्द महसूस होना, जैसी परेशानियां आएं तो बच्चों को तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं। पीठ दर्द के कई कारण हो सकते हैं। यह केवल रीढ की हड्डी की समस्या के कारण ही नहीं होता। 30 प्रतिशत बच्चों में पीठ दर्द का कारण, शारीरिक संरचना में खामियां आना होता है। यदि बच्चों में पीठ दर्द की समस्या अधिक है तो इसके कई कारण हो सकते हैं-
बच्चों का बिगडा हुआ खान-पान
आजकल बच्चे जंक-फूड का सेवन अधिक करते हैं जिससे बच्चों को पर्याप्त न्यूट्रीयन्स नहीं मिल पाते, जिससे बच्चों की हडिडयों का विकास ठीक से नहीं हो पाता। पैक्ड फूड और जंक फूड अधिक खाने से बच्चों का वजन तेजी से बढने लगता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। वजन अधिक होने से रीढ की हड्डी पर दवाब बढता है। जो पीठ दर्द का कारण हो सकता है।
मुख्य कारण, बच्चों का भारी-भरकम स्कूल बैग
प्राय देखा गया है कि बच्चों के बैग का वजन बच्चों के वजन से अधिक होता है। बच्चे इतने भारी बैग को उठाकर स्कूल की सीढियां चढते हैं, बसों में सफर करते हैं, जिससे उनकी रीढ की हड्डी पर दवाब बढता है। यदि स्कूल के बैग का वजन कम दिया जाये तो बच्चों में बढते पीठ दर्द को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस ओर पैरेंट्स और स्कूल मैनेजमेंट और टीचर्स को ध्यान देना चाहिए।
बैठने-उठने का गलत तरीका
आजकल बच्चों के साथ-साथ बच्चों का भी बैठने उठने का तरीका सही नहीं है। पीठ दर्द का मुख्य कारण बैठने-उठने का तरीका भी है। इसलिए यह आवश्यक है कि आप या बच्चे जब भी टीवी देखें, मोबाइल चलायें, कम्प्यूटर का प्रयोग करें, तब अपना बैठने का तरीका सही रखें। बीच-बीच में एक्सरसाइज करें। अपनी रीढ को सीधा रखें। लंबे समय तक एक ही स्थिति में न बैठें।
स्वस्थ शारीरिक विकास
बच्चे के स्वस्थ शारीरिक विकास के लिए उसे प्रारंभिक अवस्था से ही पौष्टिक भोजन, ताजा फल-सब्जियां खाने की आदत डालें। पौष्टिक ताजे फल और सब्जियों में पाये जाने वाले विटामिन्स काफी हद तक पीठ दर्द से बचाते हैं। जब बच्चों की हडिडयां मजबूत होंगी, स्वास्थ्य सही होगा तो शारीरिक समस्याएं कम से कम होंगी।
पीठ दर्द से बचाव के उपाय
शारीरिक सुधार, शारीरिक अभ्यास और बेहतर खान-पान के द्वारा पीठ दर्द से बचा जा सकता है। हमें बच्चों की आदतों में बदलाव करना चाहिए। बच्चों को खाने में पौष्टिक आहार दें। भोजन में हरी सब्जियां, फल, ड्राई फ्रूट, दूध-दही दें। साथ ही बच्चों को कैल्श्यिम युक्त भोजन दें। बच्चों को पीजा, बर्गर, कोल्ड ड्रिक्स आदि से दूर रखें।
बच्चों को पर्याप्त खेलने का समय दें, जिससे शारीरिक एक्सरसाइज हो, वर्क आउट करने से बच्चों को भूख खुलकर लगेगी। बच्चों का मेटाबोलिज्म सिस्टम बेहतर होगा।
बच्चों का रूटीन सही करें, समय पर सुलायें और सुबह जल्दी उठायें। बच्चे जब भी सोयें, उन्हें अच्छी क्वालिटी का तकिया व मैटरेस दें।
इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चे पर्याप्त पानी पीयें। इससे रीढ की हड्डी को हाइड्रेट और स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी।
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