डायबिटीज का मुख्य कारण, शारीरिक श्रम में कमी होना ही है। इसके अतिरिक्त यह रोग अनुवांशिक भी है। यदि आपके परिवार में या माता-पिता किसी को भी डायबिटीज है तो आपको भी डायबिटीज होने की संभावना काफी हद तक बढ जाती है। इसलिए आज के खान-पान और बीमारियों को देखते हुए शारीरिक श्रम बेहद आवश्यक हो गया है। शारीरिक श्रम करने से शरीर स्वस्थ और लचीला बनता है साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढती है।
जैसा कि हम अपने पिछले अंक में चर्चा कर चुके हैं कि डायबिटीज हमारी बिगडी हुई जीवन शैली और असंतुलित भोजन का ही परिणाम है। कारणों में ही डायबिटीज का समाधान भी निहित है।
भारत में डायबिटीज भयंकर रूप ले चुका है। बच्चों, बुजुर्गों और युवाओं, सभी को यह रोग हो रहा है। आप सभी जानते हैं कि डायबिटीज का चिकित्सा विज्ञान में कोई सफल इलाज अभी तक नहीं है। जिसके कारण अधिकतर डायबिटीज के रोगियों की आंखों की रोशनी, किडनी आदि प्रभावित हो रही हैं।
डायबिटीज जीवन शैली से संबंधित बीमारी है। यदि जीवन शैली को ठीक कर लिया जाये तो काफी हद तक इसके दुष्परिणामों से बचा जा सकता है।
सर्वप्रथम हम डायबिटीज के रोगी की दिनचर्या पर चर्चा करेंगे कि डायबिटीज के दुष्परिणामों से बचने के लिए दिनचर्या किस प्रकार होनी चाहिए।
दिनचर्या
आपने अक्सर घर के बुर्जुगों से सुना होगा और उनकी दैनिक दिनचर्या को देखा भी होगा कि वह अक्सर सूर्य उदय से पहले उठ जाते हैं, और रात को समय से भोजन कर जल्दी सो जाते हैं। यही वह अक्सर अपनी भावी पीढी को समझाते भी नजर आते हैं।
प्रात: सूर्य उदय से कम से कम एक घंटा पहले बिस्तर छोड दें।
सुबह उठते ही ऊषापान करें। पानी के साथ ही एक चम्मच दालचीनी का पाउडर भी लें। ऊषापान पान का अर्थ है कि रात को ही अपने बिस्तर के पास पानी का जग और गिलास रखकर सोयें। और सुबह उठते ही सर्वप्रथम बिना कुल्ला करें तीन-चार गिलास पानी पीयें। यदि बर्तन तांबे के हों तो बहुत ही अच्छा है। पानी पीने के एक घंटे बाद तक कुछ न खायें।
दैनिक क्रियाओं से निवृत होने के बाद, शरीर पर हल्की मालिश या हल्का व्यायाम करें या फिर सैर पर जायें या फिर पैर के तलवों की सरसों के तेल की मालिश करें।
कम से कम से आधा घंटा प्राणायाम अवश्य करें।
रात को सोने से पहले 5 बादाम, 2 अखरोट गिरी और एक छुआरा भिगो दें। इन्हें व्यायाम के बाद सेवन करें।
प्रात: 8 बजे के आसपास नाश्ता करें। भोजन खूब चबाकर खायें। भोजन चबा-चबाकर खाने से भोजन स्वत: ही आधा रह जाता है, जिससे कार्बोहाइड्रेट की मात्रा आधी रह जाती है। मुख में उपस्थित लार ग्रंथियों द्वारा भोजन में लार की मात्रा बढ जाती है। यही लार एक औषधी का कार्य करेगी। चबाने की प्रक्रिया के दौरान ही ग्लूकोज का उत्पादन मुंह में हो जायेगा जिससे पैक्रियाज, लीवर और छोटी आंत पर दवाब कम होगा।
नाश्ते में अंकुरित अनाज, कोई एक मौसमी फल, टोफू, ताजी बनी हुई सब्जी और दो से रोटी खायें।
लगभग 10 बजे थोडे से अंकुरित अनाजों का सेवन करें।
12 बजे सलाद खायें। सलाद में खीरा, मूली, टमाटर, ब्रोकली आदि ले सकते हैं।
दोपहर 2 बजे के आसपास आप छाछ, या टोंड मिल्क से बना दही, या कोई मौसमी फल खायें।
शाम 4 बजे, एक कटोरी शकरकंदी या एक कटोरी भुने हुए चने खायें।
शाम को 6 बजे से 7 बजे के बीच रात का भोजन कर लें। रात के भोजन में मल्टीग्रेन आटे से बनी 2 रोटियां, उबली हुई सब्जी, हरी मिर्च, सलाद लें। भोजन से कुछ समय पहले सब्जियों का सूप भी ले सकते हैं।
प्रयास करें कि भोजन में हरी मिर्च अवश्य खायें क्योंकि हरी मिर्च में विटामिन ए, और विटामिन सी का अच्छा स्रोत हैं। विटामिन ए आंखों के लिए लाभकारी है और विटामिन सी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है। हरी मिर्च से मेटाबोलिज्म भी ठीक रहता है।
भोजन के बाद तेज कदमों से सैर करें।
रात को 10 बजे तक सोने के लिए बिस्तर पर चले जायें। सोने से पहले हल्दी वाला गर्म दूध अवश्य पीयें। दूध टोण्ड मिल्क ही होना चाहिए।
डायबिटीज के उपचार के साधारण उपाय
सर्वप्रथम बिस्तर से उठने से पहले ही ऊषापान पान करें। ऊषापान के एक घंटे बाद तक कुछ न खायें-पीयें।
दैनिक क्रियाओं से निवृति के बाद खाली पेट आधा चम्मच दालचीनी पाउडर पानी के साथ खायें। या फिर तीन ग्राम मेथीदाना का चूर्ण सुबह खाली पेट पानी के साथ खायें इससे डायबिटीज में आराम मिलने के साथ ही रक्तचाप में भी आराम मिलता है। मेथीदाना आरोग्य का खजाना है। इससे पाचन क्रिया भी ठीक रहती है किन्तु मेथीदाने का प्रयोग गर्मी के मौसम में नहीं करना चाहिए।
सुबह व्यायाम के पश्चात और रात को सोने से पहले पैरों के तलवों की सरसों के तेल से पैरों की मालिश करें। पैरों व हाथों में प्रेशर बिंदु होते हैं, मालिश के दौरान उनकों दबायें। बिंदुओं पर दवाब पडने से शरीर के सभी अंग सक्रिय हो जाते हैं। मालिश से डायबिटीज का दुष्प्रभाव शरीर पर कम पडता है।
डायबिटीज में जामुन, करेला, नीम, जामुन और मेथीदान बहुत लाभकारी हैं। यदि संभव हो तो करेले की सब्जी प्रतिदिन खायें या फिर करेले का जूस अवश्य पीयें। करेला डायबिटीज में अमृत समान है।
आप करेले मेें वैरायिटी लाने के लिए विभिन्न रूपों जैसे करेले का जूस, करेले-चने की दाल की सब्जी, करेले की भुर्जी, करेले-शलगम की सब्जी, करेले-मूली की सब्जी बनाकर खा सकते हैं।
इसके अलावा ग्वार की फलियां, लहसुन भी शर्करा शामक हैं।
डायबिटीज में दालों का सेवन कम से कम करें। यह देर से पचती हैं।
सुबह और शाम के भोजन में रोटियां दो-दो ही खायें। सब्जियां अधिक खायें। सब्जियां, शरीर में शर्करा को कम करती हैं। सलाद के रूप में कच्ची या आज के समय में (करोना 19) के कारण उबली हुई सब्जियां, उबले हुए राजमा, अंकुरित अनाज, सब्जियों का सूप, डायबिटीज के रोगियों के लिए सर्वोतम आहार है।
यदि बीच में भूख महसूस हो तो खीरा, ककडी, टमाटर, मूली, ब्रोकली, शलगम, फूलगोभी या कोई फल खायें या दही/छाछ पीयें।
भोजन के बीच में या भोजन के तुरंत बाद में पानी न पीयें।
भोजन के बाद गर्म पानी पीते हैं तो बहुत ही अच्छे परिणाम सामने आयेंगे।
सलाद या फल भोजन के बीच में न खायें।
कोल्ड ड्रिंक्स, जंक-फूड व पैक्ड भोजन का प्रयोग बिल्कुल भी न करें।
दिन में दो से तीन बार ग्रीन टी पीयें।
दिन में एक दो बार नींबू पानी पीयें।
रात को सोने से पहले हल्दी वाला गर्म दूध अवश्य पीयें।
प्रतिदिन प्राणायाम, सैर, अनुलोम-विलोम करें।
जब भी बैठें, प्रयास करें कि वज्राासन में बैठें। भोजन के पश्चात वज्रासन में अवश्य बैठें। साथ ही सूर्य मुद्रा करें। सूर्य मुद्रा अंगूठे को अनामिका के ऊपर रखकर हल्का दबाने से बनती है। शेष तीनों अंगुलियों को सीधा रखें। सूर्य मुद्रा सूर्य के गुणों का शरीर में विस्तार करती है। शरीर में शर्करा को जलाने का कार्य करती है। यह शरीर की गर्मी प्रदान करती है और चुस्त बनाती है। सूर्य मुद्रा लगाने से शरीर से मोटापा, थुलथुलापन, शरीर का भारीपन कम होता है। वजन कम होता है। दिन में दो-तीन बार 15-15 मिनट के लिए सूर्य मुद्रा का अभ्यास अवश्य करें।
प्रतिदिन धूप का सेवन प्रतिदिन करें।
डायबिटीज और व्यायाम
डायबिटीज का होने का मुख्य कारण शारीरिक श्रम में कमी होना ही है। इसके अतिरिक्त यह रोग अनुवांशिक भी है। यदि आपके परिवार में या माता-पिता किसी को भी यह डायबिटीज है तो आपको भी डायबिटीज होने की संभावना काफी हद तक बढ जाती है। इसलिए आज के खान-पान और बीमारियों को देखते हुए शारीरिक श्रम बेहद आवश्यक हो गया है। शारीरिक श्रम करने से शरीर स्वस्थ और लचीला बनता है साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढती है। महिलाओं को चाहिए कि यदि घर में मेड लगा रखी है तो उसे हटा दें यदि यह संभव न हो तो अपने स्वयं के कार्य खुद ही करें। पुरूषों को चाहिए कि वह गाडी या बाइक आदि का कम से कम प्रयोग करें। लिफ्ट और एक्सीलेटर आदि का प्रयोग कम से करें। सीढियों के प्रयोग से शरीर में ऊर्जा उत्पन्न होती है। रक्त में गर्मी आती है जिससे रक्त दौडने लगता है और शारीरिक बाधाएं दूर होने लगती हैं।
घर से कहीं बाहर जाना हो तो कुछ कदम पैदल अवश्य चलें। सुबह शाम की सैर तेज कदमों से करें इससे आपका शुगर लेवल एकदम नीचे आ जायेगा।
इसलिए सभी के जीवन में चाहे वह डायबिटीज से पीडित हो या न हो, उनके जीवन में व्यायाम का महत्व बढ जाता है। डायबिटीज में कुछ आसन और क्रियाएं बहुत ही उपयोगी हैं। जैसे कमरचक्रासन, जानुशिरासन, पश्चिमोत्तानासन, योगमुद्रासन, वज्रासन, पवनमुक्तासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, मंडूकासन, हलासन और सूर्य नमस्कार।
सूर्य नमस्कार 12 आसनों को समूह है। यह सर्वश्रेष्ठ आसन है।
जिन भी आसनों से पेट के अंगों पर दवाब पडता है वे सभी डायबिटीज को रोकने में सहायक हैं।
अर्धमत्स्येन्द्रासन
यह आसन डायबिटीज में रामबाण है। इस आसन को करने से पैंंक्रियाज, लीवर और अमाश्य पर दवाब पडता है और शरीर में इंसूलिन बनना आरम्भ हो जाता है।
इस आसन को सुबह खाली पेट, दोपहर को खाली पेट भोजन से पहले, शाम को भोजन से पहले करना चाहिए। इससे रीढ की हडडी लचकदार बनती है। पेट का मोटापा दूर होता है। गर्दन मोडने पर ग्रीवा क्षेत्र प्रभावित होता है इससे सरवायकल में लाभ होता है।
मण्डूकासन
मण्डूकासन करने से यकृत, पैन्क्रियाज सक्रिय होते हैं। पित्त की थैली, छोटी आंत आदि सभी अंग सक्रिय होते हैं। पित्त रस और इन्सुलिन का स्राव ठीक प्रकार होने लगता है। कब्ज दूर होती है। आंतों की क्षमता बढती है। मूत्र की समस्या में सुधार होता है।
पवनमुक्तासन
दूषित वायु, गैस की समस्या से मुक्ति मिलता है। अम्लता दूर होती है। रक्तसंचार बढता है। पाचन अंग ठीक से कार्य करना आरम्भ कर देते हैं। थायरॉयड ठीक होने लगता है और रीढ की हडडी लचीली बनती है। हृदय को बल मिलता है। अस्थमा, सांस का फूलना, कफ आदि की समस्या से छुटकारा मिलता है।
सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार 12 आसनों का समूह है, इसे सूर्योदय के समय करना चाहिए।
सूर्य नमस्कार के द्वारा हमारा शरीर धूप ग्रहण करता है जिससे हमें विटामिन डी प्राप्त होता है।
सूर्य नमस्कार से शरीर में रक्त प्रवाह बढता है और शरीर लचीला बनता है।
आंखों की रोशनी तेज होती है।
मानसिक शांति मिलती है। शरीर के सभी अंग सक्रिय होने से यह डायबिटीज में बेहद लाभकारी है।
इसके अतिरिक्त प्रतिदिन सोने से पहले ध्यान करें। शरीर में अधिकतर बीमारियां मानसिक तलाव के कारण भी होती हैं। ध्यान से मानसिक शांति मिलती है। इसके अलावा हम मानसिक रूप से अलौकिक शक्ति से जुड जाते हैं जिससे नकारात्मकता धीरे-धीरे छुटकारा मिलने लगाता है।
डायबिटीज से छुटकारा पाने के लिए बेहतर जीवन शैली, खान-पान में सुधार लायें। शारीरिक श्रम और व्यायाम आदि अवश्य करें। ऐसा करने से आप डायबिटीज के दुष्प्रभावों से काफी हद तक बच सकते हैं।
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