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Vimla Sharma

ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढाने के घरेलू उपाय | Home remedies to increase breast milk

Updated: Oct 28, 2022


माँ के लिए बच्चे को स्तनपान कराना ममता से भरा अहसास होता है। आदिकाल से दूध को सर्वोत्तम संपूर्ण आहार एवं औषधि माना जाता है। शरीर के संरक्षण एवं संवर्धन में जिन उपयोगी तत्वों की आवश्यकता होती है। वे सब इसमें है जैसे-प्रोटीन, वसा, शर्करा, कैल्शियम एवं जैविक तत्व, ये सभी दूध में पाए जाते हैं। नन्हें-मुन्नों के लिए मां का दूध हल्का, सुपाच्य, पोषक, मधुर होने के कारण प्रतिरोधक शक्ति देने वाला, स्वास्थ्य तथा शरीर में स्निग्धता लाने वाला होता है। माँ का पहला दूध बच्चे को जीवन भर कई बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।

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ब्रेस्‍ट मिल्‍क, शिशु के लिए एक सर्वोत्तम और पूर्ण आहार है। माँ के लिए अपने बच्चे को पहली बार स्तनपान कराना अविस्मरणीय और ममता से भरा अहसास होता है। ईश्वर ने मां को एक बहुत ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है। इस ब्रह्माण्ड में या तो ईश्वर नया जीवन देता है या फिर एक मां। नवजीवन का प्रारम्भ ब्रेस्‍ट मिल्‍क, अर्थात ‘मां के दूध’ से होता है। ब्रेस्‍ट मिल्‍क, ईश्वर ने शिशु के लिए अमृत के रूप में दिया है। शिशु के लिए माँ का दूध अमृत के समान होता है। आदिकाल से दूध को सर्वोत्तम संपूर्ण आहार एवं औषधि माना जाता है। शरीर के संरक्षण एवं संवर्धन में जिन उपयोगी तत्वों की आवश्यकता होती है। वे सब इसमें है जैसे-प्रोटीन, वसा, शर्करा, कैल्शियम एवं जैविक तत्व, ये सभी दूध में पाए जाते हैं। नन्हें-मुन्नों के लिए मां का दूध हल्का, सुपाच्य, पोषक, मधुर होने के कारण प्रतिरोधक शक्ति देने वाला, स्वास्थ्य तथा शरीर में स्निग्धता लाने वाला होता है। माँ का पहला दूध बच्चे को जीवन भर कई बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। दूध में स्वाभाविक मधुर रस उचित मात्रा में पाया जाता है। यह रुचि बढ़ाते हुए पाचन क्रिया में सहायक होता है। यही नहीं, स्तनपान से माँ और शिशु का रिश्ता भी मजबूत बनता है। लेकिन कई बार माँ के स्तनों में भी दूध की कमी हो जाती है। यह बच्चे और माँ दोनों के लिए बहुत गंभीर स्थिति होती है। इस बात को मद्देनजर रखते हुए कुछ सुझाव प्रस्तुत हैं जो माँ का दूध बढ़ाने में सहायक होंगे।



नवजात शिशु को किस मात्रा में, किन-किन तत्वों से युक्त कैसा आहार उपयुक्त होगा, जिसकी रचना ईश्वर ने स्वयं की, उसे वैज्ञानिक, चिकित्सक, अनुसंधानक आज तक समझ नहीं पाए हैं।

जन्म के 1 घंटे तक शिशु में स्तनपान करने की बहुत इच्छा होती है। बाद में उसे नींद आने लगती है। इसलिए जन्म के बाद जितनी जल्दी माँ अपने बच्चे को दूध पिलाना शुरू कर दे उतना ही अच्छा है। आमतौर पर जन्म के 45 मिनट के अंदर स्वस्थ बच्चे को स्तनपान शुरू कर देना चाहिए। शल्य चिकित्सा द्वारा जन्मे बच्चों से भी माता बेहोशी का असर समाप्त होने के बाद तुरंत ही स्तनपान शुरू करा देना चाहिए। जन्म के तुरंत बाद बच्चों को माँ का दूध पिलाने से स्तनपान की प्रक्रिया ठीक हो जाती है।

शिशु को स्तनपान कराना महिला के जीवन का अहम हिस्सा है।



माँ का दूध बढ़ाने के तरीके

हरी पत्‍तेदार सब्जियां

हरी पत्‍तेदार सब्जियां जैसे पालक, केल, मैथी और सरसों का साग, लोह तत्‍व, कैल्शियम और फॉलेट एसिड जैसे खनिजों के बेहतरीन स्रोत हैं। इनमें बहुत सारे विटामिन होते हैं और माना यह जाता है कि मां के दूध की क्‍वालिटी को बढाते हैं। इनमें खास है मेथी, पालक, सरसों और गाजर।



पालक

आयरन का मुख्‍य स्रोत है।

स्‍तनपान कराने वाली मांओ को रोजाना तकरीबन 20 प्रतिशत आयरन की आवश्‍यकता होती है। पालक का सेवन रक्‍त कोशिकाओं को बढाने में मदद करता है, जे बदले में स्‍तन में दूध की मात्रा में वृद्धि करता है। पालक, आयरन की मात्रा बढाने के साथ ही शरीर में ऊर्जा बढाने में भी मदद करता है। शरीर में हीमोग्‍लाबिन के संतुलन को बनाये रखता है। पालक में विद्यमान फॉलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, मां और शिशु दोनों को ही स्‍वस्‍थ रखने में मदद करते हैं।



मेथी

मेथी में ऑमेगा 3 पाया जाता है।

मेथी के बीजों में ओमेगा 3, वसा जैसे स्‍वस्‍थ विटामिन होते हैं, जो स्‍तनपान कराने वाली मां के लिए अच्‍छे होते हैं। मेथी में वीटा कैरोटीन, विटामिन बी, आयरन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं। मेथी के परांठे, पूरी या भरवां रोटी बनाकर खायी जा सकती हैं।



मेथी का सेवन, दूध की मात्रा को बढ़ाने में सहायक है। मेथी में आयरन, विटामिन और कैल्शियम की मात्रा अधिक पायी जाती है। इसका प्रयोग कई वर्षों से किया जा रहा है। लेकिन इसका अधिक सेवन न करें। मेथी को कच्चा खाने की जगह सब्जी बना कर खाएं।


गाजर

गाजर विटामिन ए का मुख्‍य स्रोत है।

गाजर विटामिन ए से भरपूर है जो मां के दूध को बढाता है। गाजर को सलाद के रूप में, कच्‍चा ही खाया जा सकता है। गाजर का जूस भी पिया जा सकता है। गाजर में ऐसे तत्‍व पाये जाते हैं जो मां के दूध को बढाते हैं तथा जो मां और शिशु की आंखों को स्‍वस्‍थ रखने में मदद करते हैं।



तुलसी

तुलसी का सेवन भी माँ का दूध बढ़ाने में काफी अधिक लाभप्रद है। तुलसी के सेवन करने से न केवल बीमारियां ठीक हो जाती है बल्कि यह स्तनों में दूध बढ़ाने में भी मददगार होता है। इसके अंदर विटामिन की मात्रा अधिक पायी जाती है। आप इसको सूप में या कच्चे शहद के साथ भी खा सकते हैं।



करेले

करेले में विटामिन और मिनरल अच्छी मात्रा में पाये जाते हैं। इससे स्तन का दूध बढ़ने की क्षमता बढ़ जाती है। करेला बनाते समय हल्के मसालों का उपयोग करना चाहिए, जिससे यह आसानी से हज्म हो सके और आप स्वस्थ रह सकें।



लहसुन

लहसुन खाने से भी दूध बढ़ाने की क्षमता बढ़ जाती है। कच्चा लहसुन खाने की जगह आप लहसुन को सब्‍जी या दाल आदि में डाल कर पकायें। अगर आप लहसुन को रोजाना खाना शुरू करेंगी तो यह आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा।

मिल्‍क प्रोडक्‍ट्स

ऐसी चीजें जो की घी, बटर या तेल से मिलती हो वह स्तन के दूध बढ़ाने में बहुत लाभदायक है। यह शरीर को बहुत शक्ति प्रदान करती हैं। आप चाहें तो इन्हें चावल या रोटी के साथ भी उपयोग कर सकती हैं।

सूखे मेवे खाने से माँ का दूध बढ़ता है। बादाम और काजू आदि मां का दूध बढ़ाने में बहुत सहायक हैं। इसके अलावा इसमें विटामिन, मिनरल और प्रोटीन काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। अच्छा होगा कि आप इन्हें कच्चा ही खाएं, जिससे आपको बहुत फायदा होगा।



इसके अलावा मां के सौंफ के बीज, फायदेमंद होते हैं जो एस्‍ट्रोजन जैसे यौगिक दूध की मात्रा बढाने में मदद करते हैं।

यह सच है कि शिशु को स्‍तनपान कराने से मां और बच्‍चे को असीम आनन्‍द की अनुभूति होती है किन्‍तु शारीरिक तौर पर मां मानसिक तनाव भी प्रभावित करता है। इसलिए मां और शिशु के आसपास का माहौल शांत और खुशनुमा होना बेहद आवश्‍यक है।



ब्रेस्‍ट मिल्‍क को लेकर आधुनिक व कामकाजी महिलाओं में भ्रम

आधुनिक युग में मां अपने शिशु को कुछ महीनों तक लगातार ब्रेस्‍ट मिल्‍क, पिलाने में हिचकिचाहट महसूस करती है। उसे ऐसा भय रहता है कि कहीं उनका सौंदर्य और आकर्षण कम न हो जाए। इसी भ्रम में वह शिशु को स्नेहपूर्ण निकटता, स्तनपान न कराकर खो देती हैं। जबकि शिशु को मां के शरीर की गंध और गोद की आवश्यकता होती है। इससे उसे स्वाभाविक कोमल स्पर्श के साथ गरमाहट भी मिलती है। माता और शिशु के मध्य भावात्मक एवं मानस स्नेह बंधन में दृढ़ता उत्पन्न होती है। इसके साथ ही मां के शरीर को स्वस्थ और सुंदर बनाने के लिए भी स्तनपान बहुत जरूरी है। इसके साथ ही स्तनपान कराना एक परिवार नियोजन का सरल व सुरक्षित उपाय भी है। नारी की सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब नारी मां का कार्य पूरी शिद्दत से करे। रोगाणुओं से लड़ने के लिए दूध में प्रोटीन, पाया जाता है जो शिशु शरीर की प्रतिरोधी शक्ति बढ़ाता है।



‘लाइसोज़ाइम’ नामक पदार्थ संक्रामण कीटाणु की वृद्धि रोकने और दूध में ‘लेक्ट्रोफेरिन’ रोगाणुओं के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने की भूमिका निभाता है। मलेरिया से ‘पारा एगीनो बेजोंइक एसिड’ बचाता है। ब्रेस्‍ट मिल्‍क, हल्का, सुपाच्य, पाचन क्रिया के अनुरूप होने से नवजात शिशु के प्रथम सप्ताह किडनी में मूत्र की ‘सांद्रणकर क्षमता’ कम होने पर दूध में ‘प्रोटीन’ को संतुलित करता है। वसा पाचन के लिए ‘कैल्शियम के अवशोषण’ तथा ‘पाचन शक्ति’ दूध से बढ़ जाती है। वसा पाचन में उत्पन्न ‘वसीय अम्ल’ मस्तिष्क के विकास में सहयोग करता है। कारनीटोन, टाक्रीन नामक विशेष पदार्थ शारीरिक एवं मानसिक विकास में उपयोगी है। यही कारण है कि ब्रेस्‍ट मिल्‍क, संतुलित एवं प्राकृतिक, सुरक्षित, हानिरहित सुविधाजनक है। सर्वोतम शिशु आहार केवल ब्रेस्‍ट मिल्‍क ही है, जिसकी कोई कीमत नहीं है वह बहुमूल्य है। ब्रेस्‍ट मिल्‍क, अनेक भयंकर बीमारियों से बचाकर शिशु को स्वस्थ एवं हष्ट-पुष्ट बनाता है। स्वस्थ माता का दूध नोली आभा युक्त होता है। इसमें शर्करा 5-9, वसा 2-8, प्रोटीन 1-2 लवण -24 और जल 89-80 प्रतिशत मात्रा में पाया जाता है। आपेक्षित गुरुत्व 1026 से 1035 पर्यन्त रहता है। यह क्षार गुण युक्त विशिष्ट होता है।



ब्रेस्‍ट मिल्‍क, बच्चे को कब तक पिलाना चाहिए?

ब्रेस्‍ट मिल्‍क, बच्चे को 3-4 महीने तक तो पिलाना ही चाहिए। उसके बाद जब दूध आना कम हो जाए तो बच्चे को ऊपरी आहार जैसे फलों का रस, गाय का दूध आदि दिया जा सकता है। दूध पिलाने के अंतर को बढ़ाते हुए बीच-बीच में बच्चे को कुछ तरल पदार्थ देने आरम्भ कर देने चाहिए।

ऐसा नहीं है कि जब भी बच्चा दूध पीने की जिद करे उसे दूध पिला दिया जाये। ऐसा करने से मां से अनजाने में ही बच्चे के साथ अन्याय हो जाता है। मां को धैर्यपूर्वक बच्चे की गतिविधियों को ध्यान देना चाहिए। प्रारम्भ में हर घंटे दूध पिलाना और आयु वृद्धि के साथ समय में अंतर बढ़ाते जाना चाहिए। बीच-बीच में पानी, फलों का रस बच्चे को देने आरम्भ कर देने चाहिए। चार माह के बच्चे को दिन में केवल तीन बार ही मां का दूध पिलाना चाहिए। बच्चे के दूध का समय सुनिश्चित करें।



यदि मां बीमार हो या कोई दवाई ले रही हो तो ऐसी स्थिति में बच्चे को अपना दूध नहीं पिलाना चाहिए। कुछ समय यह फैशन बन गया है कि अधिकांश माताएं शिशु के मुंह में कृत्रित दूध की बोतल लगाकर स्वयं के धन्य समझने लगी हैं जोकि बिल्कुल ही गलत है। नवजात शिशु का यकृत बहुत ही कोमल होता है। वह किसी तरह का बाहरी भार सहन नहीं कर सकता। कृत्रिम आहार यृकत पर अनावश्यक दवाब बनाकर उसके कार्य में अवरोध उपत्पन्न करता है। शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए मां दूध ही सर्वोत्तम है। नवजात शिशु के लिए अमृत के समान है।



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Tablet shablet
Tablet shablet
Apr 15, 2021

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