नव विवाहित स्त्री-पुरुष का एक ही लक्ष्य होता है- पूर्ण काम सुख की प्राप्ति। इसके पश्चात ही उनका कोई अन्य ध्येय हो सकता है। काम सुख की प्राप्ति उनकी मूल आवश्यकता है। अगर पुरुष को स्त्री से पूर्ण सुख की प्राप्ति होती है तो वह अपने जीवन को धन्य मान लेता है। पुरुष को पत्नी पर प्यार आता है। यह प्यार, पत्नी को पुरुष के दिल के करीब ले आता है। लेकिन इन सबके लिए आवश्यक है कि स्त्री को भी पुरुष से पूर्ण सुख की प्राप्ति हो। क्योंकि अधूरापन स्त्री और पुरुष दोनों को विचलित कर सकता है। वह दिमागी व शारीरिक तौर पर परेशान हो जायेंगे। इसका प्रभाव दाम्पत्य जीवन पर पड़ता है।
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दाम्पत्य जीवन का आधार परस्पर प्रेम, विश्वास, सहयोग है। इनमें अव्वल प्रेम है। अगर पति-पत्नी के बीच प्यार है तो विश्वास और सहयोग अपने आप प्राप्त हो जाता है। लेकिन अगर प्यार और अनुराग नहीं है तो दाम्पत्य संबंधों की बुनियाद ही कमजोर हो जाती है और रिश्ते बिखरते देर नहीं लगती। आपने अक्सर आपने देखा होगा कि शादी के तुरंत बाद पति-पत्नी में बात-बेबात लड़ाई व कलह होने लगती है। जैसे-जैसे गृहस्थी की गाड़ी आगे बढ़ती है, दोनों के बीच दूरियां भी बढ़ती जाती हैं। अनेक मामलों में तलाक की घटनाएं भी देखी जा सकती हैं।
यदि वास्तुशास्त्र के हिसाब से पति-पत्नी के दाम्पत्य जीवन में व्याप्त तनाव व कलह पर विचार करें तो इसके पीछे दम्पत्ति के शयन कक्ष का गलत दिशा में होना, शयन कक्ष में वास्तु दोष उत्पन्न होना, अनियमित जीवन शैली, बुरी आदतें तथा अहम का टकराव आदि शामिल हैं। वास्तु शास्त्र की सलाह है कि अगर पति-पत्नी कुछ बातों का ध्यान रखें, तो उनके बीच मनमुटाव समेत कोई भी बात आड़े नहीं आ सकती तथा उनका दाम्पत्य जीवन सुखी व समृद्ध शाली होगा। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि स्त्री-पुरुष के दाम्पत्य जीवन को प्रगाढ़ व मजबूत बनाया जाये। यह भला कौन नहीं चाहेगा कि उनका दाम्पत्य जीवन सुदृढ़, प्रगाढ़ और आनन्द से ओत-प्रोत न रहे। इसी को ध्यान में रखकर हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताएंगे जिन्हें ध्यान में रखकर आप हमेशा अपने रिश्तों पर गर्व करते रहेंगे।
यदि आपने बच्चों की शादी की है तो उनके सुखद व लंबे दाम्पत्य जीवन की कामना करते हुए बेटे व बहू का कमरा वायव्य कोण और उत्तर दिशा के मध्य में रखें। यह अंधेरा ठंडा क्षेत्र वायु की रजस ऊर्जा से भरा रहता है। अंधेरे से इच्छित एकांत मिलता है। यहां मौजूद निम्न तापमान पूर्ण काम की सुख की प्राप्ति में सहायक बनता है।
नव विवाहित स्त्री-पुरुष का एक ही लक्ष्य होता है- पूर्ण काम सुख की प्राप्ति। इसके पश्चात ही उनका कोई ध्येय हो सकता है। लेकिन काम सुख की प्राप्ति उनकी मूल आवश्यकता है। अगर पुरुष को स्त्री से पूर्ण सुख की प्राप्ति होती है तो वह अपने जीवन को धन्य मान लेता है। पुरुष को पत्नी पर प्यार आता है। यह प्यार पत्नी को पुरुष के दिल के करीब ले आता है। लेकिन इन सबके लिए आवश्यक है कि स्त्री को भी पुरुष से पूर्ण सुख की प्राप्ति हो। क्योंकि अधूरापन स्त्री और पुरुष दोनों को विचलित कर सकता है। वह दिमागी व शारीरिक तौर पर परेशान हो जायेंगे। इसका प्रभाव दाम्पत्य जीवन पर पड़ता है।
काम जीवन का एक अंग है।
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जीवन के इन चतुर्फलों में काम का वेग प्रबल है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार भी सभी वायु तत्व की राशियां यानि मिथुन, तुला और कुंभ काम राशियां कही गई हैं। ये कामता की राशियां हैं। काम का वायु समान स्वभाव है। इधर इच्छा हुई और उधर मन फिरा। इस स्थान पर नव विवाहित जोड़ों का कक्ष होने से सारे यौन सुख की प्राप्ति होती है।
शयनकक्ष इत्र की खुश्बुओं से महकता रहना चाहिए। इससे स्त्री-पुरुष दोनों एक-दूसरे के प्रति सहज आकर्षण व प्रेम की अनुभूति कर सकेंगे। गुलाब का फूल उपहार में देना व लेना उत्तम है। इससे आपके नेत्रों में एक विशेष आकर्षण पैदा होगा।
नवविवाहित के कमरे में पलंग एक ही होना चाहिए। साथ ही गद्दा भी एक ही होना चाहिए।
स्त्री-पुरुष दोनों को समय-समय पर एक दूसरे को उपहार देते रहना चाहिए। उपहार में वही वस्तु दें जो उन्हें सबसे प्रिय हो।
नवविवाहित अपने कक्ष में प्रेम, अनुराग बढ़ाने के लिए फेंगशुई आइटम रखें, ताकि उन्हें देख कर उनके मन में भावनाएं जागृत हों और वे एक-दूसरे के प्रति आकर्षित हों।
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