जीवन क्या है? वृक्षों से पूछो। इससे तो बेहतर हो फूलों से पूछो।
इससे तो बेहतर हो पहाड़ों, चांद-तारों से पूछो। कुछ चमक तो है, कुछ रौनक तो है, कुछ गंध तो है, कुछ गीत तो है! शायद वहां से तुम्हें ज्यादा ठीक-ठीक संदेश मिल जाएगा परमात्मा का। परमात्मा वहां अभी ज्यादा जीवित है। परमात्मा सब जगह है? मैंने कहा, सब जगह है। सब जगह परमात्मा है, परमात्मा को पाने के लिए तो बिल्कुल मिट जाना होता है। सीखो जीवन को अर्थ देना। उठाओ तूलिका और जीवन में रंग भरो।
जीवन को गाली मत देना। लोग कहते हैं, जीवन व्यर्थ है। यह नहीं कहते। मैं तुमसे कुछ और कहना चाहता हूं। मैं कहना चाहता हूं। जीवन न तो सार्थक है, न व्यर्थ, जीवन तो निष्पक्ष है, जीवन तो कोरा आकाश है। उठाओ तूलिका, भरो रंग। चाहो तो इंद्रधनुष बनाओ और चाहो तो कीचड़ मचा दो। कुशलता चाहिए। अगर जीवन व्यर्थ है तो उसका अर्थ यह है कि तुमने जीवन को जीने की कला नहीं सीखी। उसका अर्थ है कि तुम यह मान कर चले थे कि कोई जीवन में रेडीमेड अर्थ होगा।
जीवन कोई रेडीमेड कपड़े नहीं है, कोई हौजरी की दुकान नहीं है, कि गए और तैयार कपड़े मिल गए। जिंदगी से कपड़े बनाने पड़ते हैं। फिर जो बनाओगे वही पहनना पड़ेगा, वही ओढ़ना पड़ेगा। और कोई दूसरा तुम्हारी जिंदगी में कुछ भी नहीं कर सकता। कोई दूसरा तुम्हारे कपड़े नहीं बना सकता। जिंदगी के मामले में तो अपने कपड़े खुद ही बनाने होते हैं।
जीवन व्यर्थ है, ऐसा मत कहो। ऐसा कहो कि मेरे जीने के ढंग में क्या कहीं कोई भूल थी? क्या कहीं कोई भूल है कि मेरा जीवन व्यर्थ हुआ जा रहा है?
बुद्ध का जीवन तो व्यर्थ नहीं। जीसस का जीवन तो व्यर्थ नहीं। मोहम्मद का जीवन तो व्यर्थ नहीं। कैसा अर्थ खिला! कैसे फूल! कैसी सुवास उड़ी! कैसे गीत जगे! कैसी मृदंग बजी! लेकिन कुछ लोग हैं कि जिनके जीवन में सिर्फ दुर्गंध है। और मजा ऐसा है कि जो तुम्हारे जीवन में दुर्गंध बन रही है वही सुगंध बन सकती है-जरा सी कला, जीने की कला!
मैं धर्म को जीने की कला कहता हूं। धर्म कोई पूजा-पाठ नहीं है। धर्म का मंदिर और मस्जिद से कुछ लेना-देना नहीं है। धर्म तो है जीवन की कला। जीवन को ऐसे जीया जा सकता है-ऐसे कलात्मक ढंग से, ऐसे प्रसादपूर्ण ढंग से-कि तुम्हारे जीवन में हजार पंखुरियों वाला कमल खिले, कि तुम्हारे जीवन में समाधि लगे, कि तुम्हारे जीवन में भी ऐसे गीत उठें जैसे कोयल के, कि तुम्हारे भीतर भी हृदय में ऐसी-ऐसी भाव-भंगिमाएं जगें, जो भाव-भंगिमाएं प्रकट हो जाएं तो उपनिषद बनते हैं, जो भाव-भंगिमाएं अगर प्रकट हो जाएं तो मीरा का नृत्य पैदा होता है, चैतन्य के भजन बनते हैं! इसी पृथ्वी पर, इसी देह में, ऐसी ही हाड़-मांस-मज्जा के लोग सार्थक जीवन जी गए।
जीवन व्यर्थ क्यों मालूम होता है?
ज़रा आंख खोल कर देखो, कहीं अंधेरे में आंख बंद किए बबूल को तो नहीं पकड़ लिया है? और सोचते हो इसमें गुलाब के फूल लगेंगे! फिर कांटे छिदें तो कसूर किसका है? कहीं बबूल की छाया में तो नहीं बैठे हो? बबूल की कहीं कोई छाया होती है? फिर धूप घनी होगी, लहू पसीना बन कर बहेगा, तो यह मत कहना कि दुनिया की गलती है। यहीं वट-वृक्ष भी थे, जिनके नीचे बहुत छाया थी। मगर तुमने खोजे नहीं। यहीं झरने भी थे, जहां प्यास तृप्त होती। आत्मा की प्यास तृप्त होती! मगर तुम मरुस्थलों में भटकते रहे। मरुस्थलों में भी छिपे हैं मरूद्यान, जरा खोजो! तुम्हारे भीतर ही सारी खोज होनी है।
जो व्यक्ति ध्यान-रहित जीएगा उसका जीवन व्यर्थ होगा, असार होगा। जो व्यक्ति ध्यान-सहित जीएगा उसका जीवन सार्थक होगा। जीवन न तो व्यर्थ होता न सार्थक, ध्यान पर सब निर्भर है। ध्यान है राज। ध्यान है कुंजी।
मूर्तिकार मूर्ति गढ़ता है, इंच-इंच तोड़ता है पत्थर को, संभाल कर, संभल कर। बड़ी मुश्किल से मूर्ति निर्मित हो पाती है। और जितनी महान कृति निर्मित करनी हो उतनी मुश्किल हो जाती है। जीवन को निखारने की कला सीखो। कोई गीता पढ़ रहा है, कोई रामायण रट रहा है, कोई कुरान कंठस्थ किए बैठा है-और सोच रहा है जीवन में अर्थ नहीं मिल रहा है! अरे, कुरान कंठस्थ करने से नहीं कुछ होगा जब परमात्मा से गर्भित होओगे, जब तुम्हारे गर्भ में परमात्मा पैदा होगा, जब तुम परमात्मा को अपने गर्भ में ढोओगे वर्षों तक, तब तुम्हारे भीतर कुरान पैदा होगा, तब तुम्हारे शब्दों में आयतें उतरेंगी। तब तुम्हारा शब्द-शब्द सुगंधा लाएगा। तब तुम बन जाओगे सेतु पृथ्वी और आकाश के बीच।
जर्मनी का प्रसिद्ध कवि हेन, जंगल में भटक गया एक बार, तीन दिन तक भूखा रहना पड़ा। फिर पूर्णिमा की रात को जब चांद निकला, उसने ऊपर देखा, बहुत हैरान हुआ। जिंदगी भर उसने चांद पर कविताएं लिखी थीं। उस दिन बहुत चौंका, क्योंकि सारी कविताएं गलत हो गईं। अब तक वह चांद में देखता था सुंदर-स्त्रियों के चेहरे, रम्य चेहरे, प्रेयसियों के चेहरे। आज चांद में क्या दिखाई पड़ा? एक रोटी आकाश में तैर रही है! उसने आंखें मूंद कर फिर से देखा कि मुझे कुछ भूल तो नहीं हो रही, रोटी! मगर भूखे आदमी को अगर तीन दिन के बाद चांद में डबल रोटी न दिखाई पड़े तो क्या दिखाई पड़े?
जीवन क्या है? वृक्षों से पूछो। इससे तो बेहतर हो फूलों से पूछो।
इससे तो बेहतर हो पहाड़ों, चांद-तारों से पूछो। कुछ चमक तो है, कुछ रौनक तो है, कुछ गंध तो है, कुछ गीत तो है! शायद वहां से तुम्हें ज्यादा ठीक-ठीक संदेश मिल जाएगा परमात्मा का। परमात्मा वहां अभी ज्यादा जीवित है।
परमात्मा सब जगह है? मैंने कहा, सब जगह है।
सब जगह परमात्मा है, परमात्मा को पाने के लिए तो बिल्कुल मिट जाना होता है। सीखो जीवन को अर्थ देना। जीवन को, उठाओ तूलिका और रंगो। इसीलिए मेरा यह जो बुद्ध-क्षेत्र है, यहां गीत है, गायन है, नृत्य है, मस्ती है। क्योंकि हम यहां जीवन की कला, जीवन में चार चांद जोड़ने की चेष्टा कर रहे हैं। यहां धर्म की एक नयी अवधाारणा हो रही है, एक नया अवतरण हो रहा है। धर्म-जो उत्सवपूर्ण हो!
मेरे संन्यासी को मैं नाचता-गाता हुआ व्यक्तित्व देना चाहता हूं, उदास नहीं, उदासीन नहीं उल्लासपूर्ण] उमंगपूर्ण] उत्साहपूर्ण] जीवंत! हंसते हुए चलना है उसके द्वार की तरफ, रोते हुए क्या! और अगर कभी रोओभी तो तुम्हारे आंसू हंसते हुए होने चाहिए, तो ही स्वीकार हो सकेंगे।
-ओशो, उत्सव
IN ENGLISH
what is life? Ask the trees. Better yet, ask the flowers.
Better to ask the mountains, the moon and the stars. Some are light, some are auras, some are fragrances, some are songs! Perhaps from there you can get a more accurate message from God. There God is still alive. Is God everywhere? I said everywhere. God is everywhere, to find God you have to disappear completely. Learn to give meaning to life. Arise, paint your life with paintbrush.
Don't abuse life. People say life is meaningless. It should not be said. I want to tell you something more. I want to say that life is neither worthwhile, nor wasted, life is fair, life is a blank sky. Pick up the brush and paint the sky of life. Make a rainbow if you want and make slime if you want. It requires skill. If life is meaningless, it means that you have not learned the art of living. It means that you assumed that there would be some ready-made meaning in life.
Life is meaningless, don't say that. You can say that I had made a mistake in living my life. Surely it was my fault that my life was going in vain.
Buddha's life is not in vain. Jesus' life is not in vain. Muhammad's life was not in vain. How did he make his life meaningful? How the meaning blossomed, how the flowers blossomed, how the fragrance emanated, how songs awakened, how music awakened? But there are some people whose life is just funk. And the fun is such that it is becoming a foul smell for your life too. This smell can become a fragrance – this is the art of living.
I call religion the art of living. Religion is not a worship. Religion has nothing to do with temples and mosques. Religion is the art of life. Life can be lived so artistically, so beautifully that a thousand-petalled lotus blooms in your life, that your life feels like a samadhi, that in your life also such songs arise in the form of a cuckoo. , that it should happen within you that feelings are awakened in the heart, then the Upanishads are formed, if those feelings manifest, then the dance of Meera is born, the hymns of Chaitanya are formed! On this earth, in this body, people like flesh and blood lived a meaningful life.
Why does life seem meaningless?
Just open your eyes and see, have you caught Acacia with eyes closed in the dark? And you think that there will be roses in it! If thorns prick, whose fault is it? Are you sitting somewhere in the shade of acacia? Is there a shadow of acacia somewhere? Blood will flow like sweat, so don't say it is the fault of the world. There were also banyan trees, under which there was a lot of shade. But you didn't get it. There were also springs, where thirst was quenched. Satisfied soul's thirst! But you got lost in the desert. The desert is hidden even in the desert, just search! The whole search is within you. One who lives without meditation, his life will be meaningless, fruitless.
A person who lives with meditation, his life will be meaningful. Life is neither meaningless nor meaningless, it all depends on meditation. Meditation is the secret. Attention is the key.
The sculptor carves the idol, breaks the stone inch by inch, with care and care. The idol is made with great difficulty. And the more expensive the idol has to be made, the more effort has to be made. This is the great work you have to do for your own life. Learn the art of making life better. Someone is reading the Gita, someone is memorizing the Ramayana, someone is memorizing the Koran - thinking that they are not finding meaning in life! Oh, nothing will happen by memorizing the Qur'an, when you are in the womb of God, God will be born from your womb, when you carry God in your womb for years, then the Qur'an will be born within you, then the verses will come in your words. Then there will be fragrance in your words and words. Then you will become the bridge between the earth and the sky.
Once the famous German poet Heine, who wandered in the forest, had to starve for three days. Then when the moon came out on the full moon night, he looked up and was very surprised. Throughout his life he wrote poems on the moon. There was a lot of surprise that day, because all the poems were wrong. Till now he used to see the faces of beautiful women, beautiful faces, beautiful faces in the moon. What did you see in the moon today? A bun is floating in the sky! He closed his eyes and then saw that I could not remember anything, Roti! But what if a hungry man does not see bread in the moon after three days?
what is life? Ask the trees. Better to ask flowers.
Better to ask the mountains, the moon and the stars. Some are light, some are auras, some are fragrances, some are songs! Perhaps from there you will get a more accurate message from God. There God is still alive.
Is God everywhere? I said everywhere.
God is everywhere, to find God you have to disappear completely. Learn to give meaning to life. Pick up life, paintbrush and paint. That's why this Buddha-field of mine, here is the song, there is singing, there is dance, there is joy. Because here we are trying to add four moons to life, the art of life. Here a new concept of religion is taking place, a new incarnation is taking place. Religion, which is festive!
I want to give my sannyasin a dancing and singing personality, not sad, not indifferent, jovial, ecstatic, enthusiastic, alive! Laughing to walk towards his door, what while crying! And if you ever cry, your tears should be laughing, then only you will be accepted.
-Osho, the festival
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