सबसे सामान्य तरह का गठिया हड्डी का गठिया या ओस्टियोअर्थरॉइटिस होता है। इस तरह के गठिया में, लंबे समय में उपयोग में लाए जाने जोड़ पर चोट लग जाने अथवा व्यक्ति की उम्र बढ़ने के कारण जोड़ घिस जाते हैं। हड्डी का गठिया अक्सर घुटनों, कूल्हों और हाथों में होता है। जोड़ों में दर्द और स्थूलता शुरू हो जाती है। समय-समय पर जोड़ों के आसपास के उत्तकों में तनाव होता है और उससे दर्द बढ़ता है।
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शरीर के जोड़ों में सूजन उत्पन्न होने पर गठिया होता है। शरीर के जोड़ ऐसे जगह होेते हैं जहां दो या दो से अधिक हड्डियां एक-दूसरे से मिलती है जैसे कूल्हे या घुटने। कोमल हड्डी, जोड़ों में गद्दे की तरह होती है जो दवाब से उनकी रक्षा करती है और क्रिया-कलाप को सहज बनाती है। जब किसी जोड़ में उपस्थित भंग हो जाती है तो आपकी हड्डियां एक-दूसरे के साथ रगड़ खाती हैं, इससे दर्द, सूजन और ऐंठन उत्पन्न होती है।
सामान्य गठिया, हड्डी का गठिया या ओस्टियोअर्थरॉइटिस होता है। इस तरह के गठिया में, लंबे समय में उपयोग में लाए जाने, जोड़ पर चोट लग जाने अथवा व्यक्ति की उम्र बढ़ने के कारण जोड़ घिस जाते हैं। हड्डी का गठिया अक्सर घुटनों, कूल्हों और हाथों में होता है। जोड़ों में दर्द और स्थूलता शुरू हो जाती है। समय-समय पर जोड़ों के आसपास के उत्तकों में तनाव होता है और उससे दर्द बढ़ता है।
दूसरी तरह का गठिया उस समय भी हो सकता है जब प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली, जो आमतौर से शरीर को संक्रमण से बचाती है, शरीर के ऊत्तकों पर वार कर देती है। इस प्रकार का रोग रियुमेटॉयड गठिया कहलाता है। इससे जोड़ों मेेें लाली आ जाती है और दर्द होता है और शरीर के दूसरे अंग भी इससे प्रभावित हो सकते हैं, जैसे कि हृदय, पेशियां, रक्त वाहिकाएं तंत्रिकाएं और आंखें।
गठिया के लक्षण
जोड़ों में दर्द
स्थिर नहीं रहते जिससे ये ऐ शरीर को सहारा नहीं दे पाते।
जोड़ाें में सूजन आ जाती है।
जोड़ों में सुबह के समय अकड़न
जोड़ों का सीमित उपयोग
जोड़ों के आसपास गर्माहट
जोड़ों के आसपास की त्वचा पर लालीपन।
रियुमेटॉयड गठिया के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। यदि आप के कोई ऐसे लक्षण हों जिनसे आपको तकलीफ या चिंता होती है, तो अपने चिकित्सक से मुलाकात करें।
जांचः डॉक्टर से स्वास्थ्य के बारे में बात करें। डॉक्टर रक्त जांच, एक्स-रे या दर्द वाले जोड़ के आसपास के द्रव कुछ नमूना लेने के लिए कह सकते हैं।
इलाजः गठिया का इलाज निम्न पर निर्भर हैः यदि आपके जोड़ों में तेज दर्द हो, जोड़ों में सूजन हो, या जोड़ हिलाने में परेशानी हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। ठीक होने पर हल्का व्यायाम अपनाएं और पौष्टिक भोजन करें। तैलीय और अधिक मसाले वाले भोजन और जंक फूड से परहेज करें।
सवाईकल स्पाडिलोसिस (गर्दन की अकड़न)
यह एक प्रकार की गर्दन की अकड़न है। इस बीमारी में गर्दन की निचली हड्डियों की गद्दियों में क्षरण उसके पदार्थ के बाहर निकलकर नसों की जड़ों तक फैलने और कशेरुका के किनारों के फैलने तथा जोड़ों के क्षतिग्रस्त होने से पैदा होती है।
लक्षणः आमतौर पर यह बीमारी चालीस के बाद ही होती थी किन्तु अब यह युवाओं में भी काफी पायी गयी है। यह सुबह की अकड़न से शुरू होती है और नसों की जड़ों का दर्द, सिर की तरफ, पीठ की तरफ, कंधे और पूरी बाह में फैल सकता है। अंगुलियों और हाथों में झुनझुनाहट महसूस होती है और कुछ समय पश्चात मांसपेशियों में वेस्टिंग एवं पैरालाइसिस शुरू हो जाती है।
उपचारः सिकाई, हल्की मालिश थोड़ी राहत देते हैं किन्तु गर्दन की हरकत को कॉलर के उपयोग द्वारा रोकना ज्यादा प्रभावी है। दर्द और सूजन निवारक गोलियां तत्काल आराम पहुंचाती हैं। राहत मिलने पर क्षमता के अनुसार पहले गर्दन को बिना हिलाये-डुलाये हल्का व्यायाम करें। ठीक होने पर सक्रिय व्यायाम उपचार नियमित रूप से अपनाएं। अगर इन सब तकनीक से लाभ न हो, तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।
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