ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया या चिकित्सा है जिसके द्वारा हम शारीरिक व मानसिक बीमारियों का उपचार स्थायी रूप से कर सकते हैं। ध्यान के लाभों को महसूस करने के लिए नियमित अभ्यास करना आवश्यक है। प्रतिदिन की दिनचर्या में एक बार आत्मसात कर लेने पर ध्यान दिन का सर्वश्रेष्ठ अंश बन जाता है। ध्यान एक बीज की तरह है। जब आप बीज को प्यार से विकसित करते हैं तो वह उतना ही खिलता जाता है। प्रतिदिन, सभी क्षेत्रों के व्यस्त व्यक्ति आभार पूर्वक अपने कार्यों को रोकते हैं और ध्यान के ताज़गी भरे क्षणों का आनंद ले सकते हैं।
भाग दौड़ की जिंदगी, धूप और गर्मी में सिर दर्द आम समस्या है। प्राय: लोगों को सिर दर्द की समस्या होती है। हमेशा सिर दर्द के लिए अंग्रेजी दवा व देशी दवाइयां लेते हैं। सिर दर्द मांसपेशियों में तनाव की वजह से भी होता है। अगर सिर दर्द की समस्या लगातार होती हो तो सुबह सेब पर नमक लगाकर खाली पेट खाना चाहिए। इसके बाद गुनगुना दूध पी लें। ऐसे कई देशी व घरेलू नुस्खे हैं जिससे सिरदर्द से तुरंत राहत मिल जाती है। किन्तु यह कोई स्थायी उपचार नहीं है।
ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया या चिकित्सा है जिसके द्वारा हम शारीरिक व मानसिक बीमारियों का उपचार स्थायी रूप से कर सकते हैं। ध्यान के लाभों को महसूस करने के लिए नियमित अभ्यास करना आवश्यक है। प्रतिदिन की दिनचर्या में एक बार आत्मसात कर लेने पर ध्यान दिन का सर्वश्रेष्ठ अंश बन जाता है। ध्यान एक बीज की तरह है। जब आप बीज को प्यार से विकसित करते हैं तो वह उतना ही खिलता जाता है.
प्रतिदिन, सभी क्षेत्रों के व्यस्त व्यक्ति आभार पूर्वक अपने कार्यों को रोकते हैं और ध्यान के ताज़गी भरे क्षणों का आनंद ले सकते हैं।
मानसिक शांति के लिए
ध्यान, मस्तिष्क की तरंगों के स्वरुप को अल्फा स्तर पर ले आता है जिससे चिकित्सा की गति बढ़ जाती है। मस्तिष्क पहले से अधिक सुन्दर, नवीन और कोमल हो जाता है। ध्यान मस्तिष्क के आतंरिक रूप को स्वच्छ व पोषण प्रदान करता है। जब भी आप व्यग्र, अस्थिर और भावनात्मक रूप से परेशान होते हैं तब ध्यान आपको शांत करता है। ध्यान के सतत अभ्यास से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं:
व्यग्रता का कम होना
भावनात्मक स्थिरता में सुधार
रचनात्मकता में वृद्धि
प्रसन्नता में संवृद्धि
मानसिक शांति एवं स्पष्टता
ध्यान मस्तिष्क को केन्द्रित करते हुए कुशाग्र बनाता है तथा विश्राम प्रदान करते हुए विस्तारित करता है।
ध्यान कुशाग्र बुद्धि व विस्तारित चेतना का समन्वय पूर्णता लाता है।
ध्यान आपको जागृत करता है जिससे आतंरिक मनोवृत्ति ही प्रसन्नता का कारण बनती है।
शारीरिक उपचार के लिए ध्यान करना आवश्यक है।
उच्च रक्तचाप का कम होना, रक्त में लैक्टेट का कम होना, उद्वेग/व्याकुलता का कम होना।
तनाव से सम्बंधित शरीर में कम दर्द होता है। तनाव जनित सिरदर्द, घाव, अनिद्रा, मांशपेशियों एवं जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। बेहतर करने वाले सेरोटोनिन हार्मोन का अधिक उत्पादन होता है। प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत बनता है। ऊर्जा के आतंरिक स्रोतो में वृद्धि होती है।
ध्यान के आध्यात्मिक लाभ
ध्यान का कोई धर्म नहीं है और किसी भी विचारधारा को मानने वाले इसका अभ्यास कर सकते हैं। मैं कुछ हूँ इस भाव को अनंत में प्रयास रहित तरीके से समाहित कर देना और स्वयं को अनंत ब्रह्मांड का अविभाज्य पात्र समझना। ध्यान की अवस्था में आप प्रसन्नता, शांति व अनंत के विस्तार में होते हैं और यही गुण पर्यावरण को प्रदान करते हैं, इस प्रकार आप सृष्टी से सामंजस्य में स्थापित हो जाते हैं। ध्यान आप में सत्यतापूर्वक वैयक्तिक परिवर्तन ला सकता है। क्रमशः आप अपने बारे में जितना ज्यादा जानते जायेंगे, प्राकृतिक रूप से आप स्वयं को ज्यादा खोज पाएंगे।
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