लोग कम्प्यूटर पर लगातार 8 से 10 घंटे काम करते हैं, वे कई तरह के रोगों के शिकार हो जाते हैं या फिर तनाव व थकान से ग्रस्त रहते हैं। निश्चित ही कम्प्यूटर पर लगातार आंखें गड़ाए रखने के अपने नुकसान तो हैं ही इसके अलावा भी ऐसी छोटी-छोटी समस्याएं भी पैदा होती हैं। जिससे हम जाने अनजाने लड़ते रहते हैं। जैसे- यादाश्त में कमी, दृष्टि दोष, चिड़चिड़ापन, पीठदर्द, सर्वाइकल स्पॉन्डिलस, शारीरिक थकान, मानसिक थकान, कब्ज, गैस-एसिडिटी, अनिंद्रा, बैचेनी आदि अनेक परेशानियां पैदा हो जाती हैं।
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आज कम्प्यूटर दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। सुबह होते ही व्यक्ति इंटरनेट से जुड जाता है। कम्प्यूटर, मनुष्य के मुकाबले अधिक तेजी से कार्य करता है। आज कम्प्यूटर पर हर जानकारी मौजूद है। आप कम्प्यूटर में जितना चाहे डाटा स्टोर कर सकते हैं, कोई भी जानकारी सैकिण्डों में प्राप्त कर सकते हैं और कभी भी उपयोग में ला सकते हैं। इंटरनेट की सुविधा के आने के बाद आप कभी भी कहीं भी दोस्तों, सम्बन्धियों से वीडियो कॉल कर सकते हैं। ऑफिस की मीटिंग आदि भी बिना किसी असुविधा के कर सकते हैं। आज मोबाइल रिचार्ज, बिजली के बिल जमा करने से लेकर ऑन लाइन शॉपिंग तक कर सकते हैं। शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में कम्प्यूटर ने दुनिया को बदल कर रख दिया है। चिकित्सा की बात करें तो दुनिया के बेहतरीन डॉक्टरर्स से सलाह ले सकते हैं।
वक्त बदला और लोगों ने इसको अपने घर का हिस्सा बना लिया। समय के साथ डेस्कटॉप की जगह लैपटॉप ने ले ली और अब आप इसे कहीं भी ले जा सकते हैं। समय के बदलने और तकनीकी विकास के कारण मोबाइल भी वही काम करने लगे जो कंप्यूटर करता है। इसके कारण लोग 24 में से 20 घंटे या उसके आसपास का समय ऑन स्क्रीन बिताने लगे। ऐसी स्थिति में परेशानियों का होना लाजमी है।
लोग कम्प्यूटर पर लगातार 8 से 10 घंटे काम करते हैं, वे कई तरह के रोगों के शिकार हो जाते हैं या फिर तनाव व थकान से ग्रस्त रहते हैं। निश्चित ही कम्प्यूटर पर लगातार आंखें गड़ाए रखने के अपने नुकसान तो हैं ही इसके अलावा भी ऐसी छोटी-छोटी समस्याएं भी पैदा होती हैं। जिससे हम जाने अनजाने लड़ते रहते हैं। जैसे- यादाश्त में कमी, दृष्टि दोष, चिड़चिड़ापन, पीठदर्द, सर्वाइकल स्पॉन्डिलस, शारीरिक थकान, मानसिक थकान, कब्ज, गैस-एसिडिटी, अनिंद्रा, बैचेनी आदि अनेक परेशानियां पैदा हो जाती हैं।
कम्प्यूटर पर लगातार काम करने से हमारा मस्तिष्क और आंखें इस कदर थक जाती हैं कि केवल नींद से ही इसे दूर नहीं किया जा सकता। साथ ही आंखों की परेशानी भी पैदा हो जाती है। इन परेशानियों से बचने के लिए बीच-बीच में थोड़ा काम से विराम लेना चाहिए। आंखों को कम्प्यूटर से कम से कम तीन फीट दूर रखें। इससे आपकी आंखें काफी हद तक सुरक्षित रहेंगी। यादाश्त को बनाये रखने के लिए दिन भर में किये गए कामों को उल्टे क्रम में याद करने की कोशिश करें। अपने खान पान का ध्यान रखें। पौष्टिक भोजन लें।
थकान के लिए योग करें। अपनी थकान दूर करने के लिए आप ताड़ासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, ब्रह्म मुद्रा, नौकासन और विपरीत नौकासन। प्राणायामों में नाड़ी शोधन और कपालभांति करें। फिर श्वासन में योग निद्रा का आनन्द लें। गहरी सांस लें और छोड़ें।
ताड़ासनः
ताड़ासन एक योगासन है। यह लंबाई बढ़ाने में लाभदायक है। यह पूरे शरीर को लचीला बनाता है साथ ही शरीर को सख्त और कड़ा होने से रोकता है। यह एक ऐसा आसन है कि इससे मांसपेशियों को ही नहीं सूक्ष्म मांसपेशियों को भी बहुत हद तक लचीला बनाता है। इससे शरीर की स्थिति ताड़ के पेड़ के समान हो जाती है। इसलिए इसे ताड़ासन कहा जाता है।
ताड़ासन करना बहुत ही आसान है।
पहली स्थितिः इसको करने के लिए सबसे पहले जमीन पर कंबल बिछायें और सीधे खड़े हो जाएं। फिर अपने दोनों पैरों को आपस में मिलाकर रखें। और दोनों हाथों को सीधा कमर से सटाकर रखें।
दूसरी स्थितिः इस समय आपका शरीर स्थिर होना चाहिए। दोनों पैरों पर आपका वजन समान रूप से पड़ना चाहिए। अब दोनों हाथों को कंधों के समानान्तर लाएं।
तीसरी स्थितिः अब दोनोे हथेलियों की अंगुलियों को मिलाकर सिर के ऊपर ले जाएं। अब सांस भरते हुए अपने हाथों को ऊपर की ओर खींचिए, जब तक आपको कंधों और छाती में खिंचाव महसूस नहीं होने लगता। तब तक खींचना है।
चौथी स्थितिः अब अपने दोनों पैरों की एड़ियों को भी ऊपर उठाएं और सावधानी से पंजों के बल खड़े हो जाएं। अब फिंगर लॉक लगाकर हाथों के पंजों को ऊपर की ओर मोड़ें।
पांचवी स्थितिः इस समय आपकी गर्दन सीधी होनी चाहिए और हथेलियां ऊपर की ओर अर्थात आसमान की ओर होना चाहिए। ध्यान रखें कि आपकी पैरों की अंगुलियों पर शरीर का संतुलन बनाये रखें।
छठी स्थितिः कुछ देर इस स्थिति में रुकने के बाद सांस छोड़ते हुए हाथों को वापस सिर के ऊपर ले आएं। धीरे-धीरे एड़ियों को भूमि पर टिका दें और दोनों हाथों को भी नीचे लाते हुए कमर से सटाकर पहले वाली स्थिति में आ जाएं। इस आसन को नियमित कम से कम 10 से 12 बार करें।
ताड़ासन करने का सही समय सुबह या शाम है।
ताड़ासन के लाभः
1- यह आसन अधिकतर लंबाई बढ़ाने के लिए ही किया जाता है। इसलिए यह आसन प्रतिदिन करना चाहिए।
2- यह आसन पेट की चर्बी को कम करता है।
3- इस आसन से पीठ दर्द में लाभ मिलता है।
4- यह आसन पाचन क्रिया में काफी लाभप्रद है।
5- यह आसन गठिया में लाभप्रद है।
6- इससे शारीरिक विकास होता है।
7- हृदय रोग में यह आसन बहुत ही लाभप्रद है।
8- इस आसन से नसों एवं मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है।
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