यदि हमारे फेफड़े ठीक से कार्य नहीं करते तो इसका सीधा प्रभाव हमारे पूरे शरीर पर पड़ता है। हमारे शरीर में ऑक्सीजन, फेफड़ों के द्वारा ही पहुंचती है। यदि ऐसा नहीं हो पाता तो हमें थकान महसूस होती है क्योंकि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। ऑक्सीजन कम होने से दिल प्रभावित होता है। जब दिल ठीक से कार्य नहीं कर पाता तो शरीर के सभी अंग टिशूज, सेल्स आदि की काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है। इसलिए हमारे फेफड़ों का स्वस्थ रहना बहुत ही आवश्यक है।
स्वास्थ्य के लिहाज से आज की जिंदगी काफी कठिन हो गई है। बदलते मौसम, पॉल्यूशन और कोरोना की मार ने हमारे सामने स्वयं को स्वस्थ रखने की बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। बिगड़ते हालातों का सीधा दुष्प्रभाव हमारे फेफड़ों पर पड़ रहा है। फेफड़े हमारे शरीर में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। यदि हमारे फेफड़े ठीक से कार्य नहीं करते तो इसका सीधा प्रभाव हमारे पूरे शरीर पर पड़ता है।
हमारे शरीर में ऑक्सीजन, फेफड़ों के द्वारा ही पहुंचती है। यदि ऐसा नहीं हो पाता तो हमें थकान महसूस होती है क्योंकि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। ऑक्सीजन कम होने से दिल प्रभावित होता है। जब दिल ठीक से कार्य नहीं कर पाता तो शरीर के सभी अंग टिशूज, सेल्स आदि की काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है। इसलिए हमारे फेफड़ों का स्वस्थ रहना बहुत ही आवश्यक है। उपरोक्त कारणों को ध्यान में रखते हुए स्वयं को लेकर बिल्कुल भी लापरवाह नहीं होना चाहिए। पॉल्यूशन, कोरोना और बदलते मौसम में हमें सावधान रहने की बहुत ही आवश्यकता है।बच्चों और बुजुर्गों के फेफड़े जल्दी प्रभावित होते हैं। उनका खास ध्यान रखना चाहिए।
कैसे रखें फेफड़ों को सुरक्षित?
घर में धूपबत्ती या अंगीठी जलाते समय घर की खिड़की और दरवाजे पूरी तरह से खोल दें।
घर से निकलते समय मास्क अवश्य पहनें।
मास्क अच्छी क्वालिटी का ही प्रयोग करें।
कई बार देखा गया है कि महिलायें साधारण कपड़े या दुपटटे का प्रयोग, मास्क के स्थान पर करती हैं। यह हमें कोरोना से तो बचा सकता है किन्तु पॉल्यूशन से बचाव नहीं होगा और हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचेगा। इसलिए अच्छे मॉस्क का ही प्रयोग करें।
सर्जिकल मास्क कोरोना से बचाने में कारगार हैं किन्तु इसके साथ ही हमें सोशल डिस्टेंटिंग का भी पालन करना चाहिए।
मास्क प्रयोग करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मास्क पारदर्शी न हो। ऐसे मास्क यदि प्रयोग करते हैं तो खांसी या छींक आने पर मुंह से निकलने वाले कीटाणुओं को मास्क नहीं रोक पाता।
आप एन-95 (N-95) का ही प्रयोग करें। यदि किसी कारण ऐसा नहीं कर पाते तो तीन लेयर का मास्क आप घर में भी बना सकते हैं।
मास्क साफ-सुथरा ही प्रयोग करें इसके लिए आप अपने पास 3 या चार मास्क अवश्य रखें और नियमित रूप से उन्हें धोयें।
धूम्रपान न करें। यदि कोई आपके पास धूम्रपान कर रहा है तो उसे रोकें या वहां से दूर हो जायें।
फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए नींद पूरी लें तथा संतुलित भोजन करें।
भोजन में चावल या रोटी, दालें, सरसों का तेल, देसी घी, मिनरल्स, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि को भोजन में शामिल करें।
मौसमी फलों और सब्जियों का प्रयोग अपनी डाइट में अधिक करें ।
विटामिन सी से संबंधित फल और सब्जियों को अपनी डाइट में अवश्य शामिल करें।
सर्दियों में काढ़ा पीना काफी फायदेमंद है। यदि काढा पीने के परेशानी महसूस हो तो काढे की सामग्री को सूप आदि में डालकर पीयें इससे आपको काढ़ा भी स्वादिष्ट लगेगा।
दोपहर की धूप अवश्य लें। धूप से हमें विटामिन डी मिलता है। सदियों में सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक धूप ली जा सकती है। और गर्मियों में सुबह 7 बजे से 11 बजे तक की धूप ले सकते हैं।
प्रतिदिन योगा और व्यायाम करें
बाहर जाते समय सैनेटाइजर अवश्य लेकर जायें, तथा दूसरों से 6 फुट की दूरी अवश्य बनाकर रखें।
बच्चों और बुजुर्गों को पॉल्यूशन,कोरोना और बदलते मौसम से बचाने के लिए उपरोक्त नीतियां अपनायें।
पॉल्यूशन, बदलते मौसम और कोरोना से बचने लिए अस्थमा के मरीजों को खास सावधानी की आवश्यकता है।
इनहेलर हमेशा अपने पास रखें।
अस्थमा ग्रस्त बच्चों को जितना संभव हो पॉल्यूशन से दूर रखें।
बाहर से आने के पश्चात हाथ-पांव पानी से अवश्य धोएं और तुरंत कपड़े बदल लें जिससे बाहर की धूल मिटटी से स्वयं को बचाया जा सकें।
अस्थमा के मरीज कोई भी दवा लेते समय डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
पॉल्यूशन से बचने के लिए घर की हवा को साफ रखें। वैसे तो मार्केट में कई प्रकार एयर प्यूरीफायर मौजूद हैं, लेकिन यह कितना कारगर हैं यह नहीं कहा जा सकता।
घर की हवा को साफ रखने लिए अपने घर के आसपास पेड़-पौधे लगायें। घर के अंदर इंडोर प्लांट लगायें, ये पौधे घर की हवा को साफ रखने में काफी मददगार हैं।
घर में ‘पीस लिली‘, रबड़ प्लांट, मनी प्लांट, तुलसी के पौधे लगाये जाते हैं तो घर की हवा काफी हद तक साफ होती है। पौधे लगाने के घर की हवा पूरी तरह से साफ तो नहीं हो पाती, किन्तु घर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है।
कमरें की खिड़कियां बंद रखें। घर में कोई भी चीज जलाने से बचें।
घर की हवा साफ और धूल मिट्टी से बचाने के लिए घर में गीला पोंछा लगाते रहें।
घर में यदि दो लीटर पानी को खोलकर कुछ मिनट के लिए उबाल जाये तो घर की हवा काफी हद तक साफ हो जाती है।
कैसे जांचें कि आपके फेफड़े पूरी तरह से स्वस्थ हैं या नहीं?
फेफडों की जांच करने के लिए वैसे तो मार्केट में कई मशीनें मौजूद हैं कि किन्तु यह कार्य आप घर में ही आसानी से कर सकते हैं।
फेफड़ों की जांच के लिए आप पद्मासन में बैठ जायें और सांस को अंदर की ओर खींचें फिर सांस को एक मिनट तक रोकें। यदि आप सांस आसानी से रोक पाते हैं तो आपके फेफड़ों की क्षमता अच्छी है। यदि आप 30 सेकंड भी सांस रोक पाते हैं तो घबराने की जरूरत नहीं, इस क्षमता बढ़ाया जा सकता है। किन्तु यदि आप 30 सेकंड से भी कम समय तक सांस रोक पाते हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और चिकित्सा लें।
निम्न बातों का भी रखें ध्यान-
प्रतिदिन सुबहर एक चम्म्च च्यवनप्रास खायें, इसके प्रयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
सूखी अदरक का एक टुकड़ा, गुड़ की दुगुनी मात्रा के साथ लेकर चबायें। इसके ऊपर से थोड़ा सा गुनगुना पानी पी लें। यह क्रिया आप दोपहर के भोजन के बाद कर सकते हैं।
यदि बाहर से आने के बाद गले में खराश महसूस हो रही है तो एक गिलास दूध में एक चौथाई हल्दी, 2-3 तुलसी के पत्ते, 4 लौंग, आधा चम्मच दालचीनी पाउडर, एक इंच गिलोय, 2-3 काली मिर्च डालकर दूध को उबाल लें। मीठे के लिए गुड़ या शहद का प्रयोग करें। यदि ऐसा आप प्रतिदिन करते हैं तो आप काफी हद तक फेफड़ों से संबंधित परेशानियों से स्वयं को सुरक्षित रख सकते हैं।
यदि सीने में कफ जमा हो गया हो तो 1 गिलास दूध में 5 से 7 किशमिश, 2 से 3 खजूर डालकर 10 मिनट तक दूध को उबाल लें। इसे छान कर पीयें। यदि किशमिश और छुआरा आप खा सकते हैं तो काफी अच्छा है।
पोल्यूशन से बचने के लिए, रात को सोते समय एक कप गर्म पानी के साथ आधा चम्मच हरीतिका चूर्ण लगभग 45 दिनों तक लगातार लें इससे आप स्वयं को पॉल्यूशन से काफी हद तक बचा पायेंगे।
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