दुनिया में किसी भी कैंसर की तुलना में फेफड़ों के कैंसर के अधिक मामले आते हैं क्योंकि फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता नहीं लगाया जा सकता है। यह कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होता है। वैसे तो फेफडों के कैंसर का मुख्य कारण धूम्रपान को माना जाता है। फेफड़ों का कैंसर उन लोगों में भी हो सकता है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया। इसका कारण वायु प्रदूषण, और व्यवसाय, जहां आप काम करते हैं, हो सकता है। फैक्ट्री में कार्य करते समय कैमिकल्स का प्रयोग होता हो, जो आपकी सांसों के साथ नियमित रूप से जाकर आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता हैरहा हो।
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फ़ेफ़ड़ों का कैंसर शुरूआत में सामान्य खांसी की तरह होता है। यह तंबाकू, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट
के अलावा वायु प्रदूषण और व्यवसायिक परिस्थितियों से भी हो सकता है। यदि समय पर इलाज करा लिया जाये तो इसे पूरी तरह से ठीक भी किया जा सकता है।
कैंसर एक खतरनाक बीमारी है। दुनिया में किसी भी कैंसर की तुलना में फेफड़ों के कैंसर के अधिक मामले आते हैं क्योंकि फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता नहीं लगाया जा सकता है। यह कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होता है। वैसे तो मुख्य कारण धूम्रपान माना जाता है किन्तु फेफड़ों के बारे में बहुत कुछ है जिसे बहुत से लोगों को जानकारी नहीं हैं। यह शुरूआत में सामान्य खांसी की तरह होता है। यह तंबाकू, गुटखा बीड़ी, सिगरेट के अलावा वायु प्रदूषण और व्यवसायिक परिस्थितियों से भी हो सकता है। यदि समय पर इलाज करा लिया जाये तो इसे पूरी तरह से ठीक भी किया जा सकता है।
सिगरेट, गुटका, तंबाकू आदि का सेवन फेफड़े के कैंसर को बढ़ावा देता है। आपको बता दें कि जो
लोग धूम्रपान करते हैं उन्हें फेफड़े के कैंसर का सबसे अधिक खतरा होता है, हालांकि फेफड़ों का कैंसर
उन लोगों में भी हो सकता है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है।
आप फेफड़ों के कैंसर के बढ़ने की संभावना को काफी कम कर सकते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि फेफड़ों का कैंसर कैसे होता है, इससे कैसे बचा जा सकता है।
शुरुआती दौर में फेफड़े के कैंसर का कोई भी लक्षण स्पष्ट नजर नहीं आता है। फेफड़ों के कैंसर के लक्षण तब पता चलते है जब ये एंडवांस लेबल पर पहुंच जाता है।
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण हैंः
खांसी जो आसानी से ठीक नहीं होती।
कफ के साथ रत्तफ़स्राव
साँसों की कमी
छाती में दर्द
वजन में कमी
सिर, हडिडयों व जोड़ो में दर्द
यदि उपरोत्तफ़ लक्षणों में से कोई भी दो एक या दो लक्षण होने के कारण आपको लंग कैंसर हो सकता है। एक बार अपने चिकित्सक से जांच कराएं। यदि आप धूम्रपान करते हैं और धूम्रपान छोड़ने में असमर्थ हैं, तो अपने डॉक्टर से मिलें क्योंकि धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर के प्रमुऽ कारणों में से एक है। धूम्रपान छोड़ने के लिए, डॉक्टर आपको परामर्श व दवा दे सकते हैं।
फेफड़ों के कैंसर के कारण
धूम्रपान फेफड़े के कैंसर का एक मुख्य कारण है। धूम्रपान करने वालों और इसके संपर्क में रहने वाले लोगों में फेफड़ों का कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। लेकिन एक बात याद रखें कि फेफड़ों का कैंसर उन लोगों में भी हो सकता है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया। इसका कारण वायु प्रदूषण, और आपका व्यवसाय जहां आप काम करते हैं। हो सकता है आप किसी फैक्ट्री में कार्य करते समय कैमिकल्स का प्रयोग होता हो, जो आपकी सांसों के साथ नियमित रूप से जाकर आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा हो।
फेफड़ों के कैंसर का निदान
छाती के एक्स-रे पर दिखाई देने वाली सभी असामान्यताएं कैंसर नहीं होते हैैं। कैंसर की पहचान चेस्ट सिटी स्कैन या एमआरआई के द्वारा ही की जा सकती है।
फेफड़े के कैंसर से बचाव
फेफड़ों के कैंसर को रोकने के लिए कोई निश्चित तरीका नहीं है, लेकिन आप अपने जोिऽम को कम कर सकते हैं यदि-
धूम्रपान न करें।
सेकेंड हैंड धुएं से बचें।
फल और सब्जियों अधिक खायें।
प्रतिदिन व्यायाम करें।
अधिक गोलियों का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकार है।
यदि आप सिगरेट आदि नहीं पीते तो बहुत अच्छी बात है लेकिन सिगरेट पीने वालों से भी दूर रहें और उन्हें भी इन खतरनाक चीजों से दूर रहने की सलाह अवश्य दें। शरीर के लिए प्रोटीन, विटामिन आदि खाद्य पदार्थों से प्राप्त करने का प्रयास करें, न कि इनके लिए गोलियां खायें। अधिक गोलियों का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकार है।
पद्मासन में बैठें। रीढ़ की हड्डी और गर्दन को सीधा रखें।
आंखें बंद कर लें। दोनों हाथों से घुटनों को पकड़ें, ताकि प्राणायाम करते समय शरीर स्थिर रहे।
धीरे-धीरे सांस छोड़ें। फिर सांस अंदर भरें।
कुछ सेकंड के लिए सांस रोककर रखें। अब पूरी शक्ति लगाते हुए नाक से सांस छोड़ें। साँस छोड़ते समय, पेट को सिकोड़ें, अर्थात साँस छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर धकेलें।
शक्ति लगाकर साँस छोड़ेें, लेकिन साँस लेते समय शक्ति न लगायें।
लाभ:
साधारण सांस लेने की प्रक्रिया में फेफडों में जो वायु रूक जाती है , वह कपालभाति करने से बाहर निकल जाती है।
फेफड़े अधिक ऑक्सीजन को अवशोषित करना शुरू कर देते हैं और पूरे फेफड़े को फायदा होता है।
कपालभांंति करने से सभी चक्र प्रभावित होते हैं जिससे चक्र से संबंधित सभी प्रकार के रोग अपने आप ठीक हो जाते हैं। मनुष्य लंबा और स्वस्थ जीवन जीता है।
मस्तिष्क में किसी भी प्रकार की रुकावट, खिंचाव या ट्यूमर भी ठीक होने लगता है।
रक्त शोधन की प्रक्रिया तेजी से होती है। इम्यूनिटी बढ़ती है।
उज्जायी प्राणायाम
समतल और साफ जमीन पर चटाई या आसन बिछाकर पद्मासन, सुखासन की अवस्था में बैठें।
अब आप अपने शरीर और रीढ़ की हड्डी सीधा रखें।
इसके बाद, दोनों नाक से सांस भरें जब तक कि फेफड़ों में हवा न भर जाए।
फिर शरीर में कुछ समय के लिए आंतरिक कुंभक यानी वायु को रोककर रखें।
अब नाक के दाएं छिद्र को बंद करें, बाएं छिद्र से सांस को बाहर निकालें।
वायु को अंदर खींचते और बाहर छोड़ते समय कंठ को संकुचित करते हुए ध्वनि करेंगे, जैसे हल्के खर्राटों की तरह या समुद्र के पास जो एक ध्वनि आती है।
इस प्राणायाम को शुरुआत में केवल 2 से 3 मिनट तक करें, अभ्यास के बाद इसे 10 मिनट तक किया जा सकता है।
साँस छोड़ने का समय साँस को दोगुना करने के लिए रखें, यानी साँस छोड़ने की प्रक्रिया को धीरे-धीरे करें।
अधिक लाभ पाने के लिए सुबह खाली पेट किया जाना चाहिए।
लाभ:
उज्जायी प्राणायाम करने से हृदय मजबूत होता है।
स्वर मधुर है, यह गायक के लिए बहुत लाभदायक प्राणायाम है।
फेफड़ों को अधिक ऑक्सीजन मिलती है।
यह ध्यान की अवस्था में ले जाने में सहायक है।
यह प्राणायाम प्राणों के उत्थान में सहायक है।
यह प्राणायाम थायराइड में बेहद फायदेमंद है।
नोट: प्राणायाम का अभ्यास केवल योग के विशेषज्ञों के साथ किया जाना चाहिए।
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