तुलसी, भारत में पवित्र पौधे के रूप में पूजनीय है। यह आपको हर भारतीय के घर के आंगन में मिल जायेगी। यह झाड़ीनुमा पौधा है जिसमें शाखाएं खास तरह की सुगंध वाली होती है। वैदिक युग से इस पौधे के औषधीय गुणों की बात की जाती रही है। इस पौधे की पत्तियां और बीज दोनों ही औषधीय गुण रखते हैं इसलिए तुलसी के बीज का महत्त्व इसकी पत्तियों के समान ही होता है। तुलसी के पौधे की पत्तियां, कई तरह के वायरल बुखार में उपयोगी हैं। तुलसी सचमुच प्रकृति द्वारा दिया गया एक अमृत है।
भारतीय संस्कृति सनातन धर्म पर आधारित है जिसमें विश्व के सभी जीव-जंतुओं, तत्वों, वनस्पतियों आदि के प्रति आभार व्यक्त किया गया है क्योंकि इन सबके बिना हमारा जीवन संभव नहीं है। तभी तो सनातन धर्म में सूर्य, चंद्रमा, वायु, नदियां जल के रूप में, वनस्पतियां सभी देव रूप में पूजे जाते हैं। लगभग सभी वनस्पतियों में औषधीय गुण होते हैं, जो किसी न किसी रूप में हमें लाभ पहुंचाते हैं और शरीर को निरोगी रखने में सहायक होते हैं। इनमें से एक है तुलसी का पौधा। तुलसी को कई नामों से जाना जाता है। जैसे पुष्पसारा, नन्दिनी, वृंदा, वृंदावनी, विश्वपूजिता, विश्वापावनी, तुलसी, कृष्ण जीवनी आदि।
तुलसी, भारत में पवित्र पौधे के रूप में पूजनीय है। यह आपको हर भारतीय के घर के आंगन में मिल जायेगी। यह झाड़ीनुमा पौधा है जिसमें शाखाएं खास तरह की सुगंध वाली होती है। वैदिक युग से इस पौधे के औषधीय गुणों की बात की जाती रही है। इस पौधे की पत्तियां और बीज दोनों ही औषधीय गुण रखते हैं इसलिए तुलसी के बीज का महत्त्व इसकी पत्तियों के समान ही होता है। तुलसी के पौधे की पत्तियां, कई तरह के वायरल बुखार में उपयोगी हैं। तुलसी सचमुच प्रकृति द्वारा दिया गया एक अमृत है। यह एकमात्र ऐसा पौधा है जिससे रोगनाशक गुण, आसपास के वातावरण में लगातार अपने आप फैलते रहते हैं। इस कारण इसके पास खड़े होने, छूने, रोपने, पानी चढ़ाने में रोगों के प्रभाव से बचाव हो जाता है।
यही कारण है कि हमारे यहाँ हर घर के आँगन में तुलसी का पौधा मिल जाता है। तुलसी, मलेरिया की सबसे अच्छी दवा या अच्छी औषधि है। आँतों की सफाई के लिए तुलसी का रस (पत्तियाँ चबाकर खाना) सबसे अच्छा उपाय है। इसके रस के द्वारा आँतों में जमे कीटाणु मर जाते हैं।
तुलसी के फ़ायदे
बारिश के मौसम में, जब सर्दी, बुखार और डेंगू जैसी बीमारियों के संक्रमण फैलता है, इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से शरीर को संक्रमण से बचाता है।
सिरदर्द होने पर तुलसी का रस और कपूर मिलाकर लगाने से तुरंत आराम मिल जाता है।
अगर आपको नींद कम आती है और रातभर करवटें बदलते रहते हैं तो तुलसी के पत्ते और अजवायन को किसी कपड़े में रखकर, पोटली बना लें और इसे अपने तकिये के नीचे रखें, नींद न आने की शिकायत धीरे-धीरे दूर होने लगेगी।
तुलसी का रस या तुलसी के तेल की एक-दो बूंदे नाक में डालने से मस्तिष्क में तरावट आती है।
तुलसी के पत्ते पानी में मिलाने से पानी शुद्ध होता है। तुलसी के पत्ते दिमाग को ठंडक पहुचाते हैं। मस्तिष्क की तरावट के लिए गर्मी के मौसम में हर रोज आधा चम्मच काली मिर्च का चूर्ण, 1 चम्मच शुद्ध देशी घी तथा एक चम्मच शक्कर, इन तीनों को मिलाकर सुबह के समय लेने से मस्तिष्क में तरावट आ जाती है, मेमोरी यानि याददाश्त तेज हो जाती है। यह बढती उम्र में अलजाइमर की शिकायत में फायदेमंद है।
तुलसी का सेवन करने से बाल काले रहते हैं और आँखों की रौशनी तेज हो जाती हैं।
श्यामा तुलसी के पत्तों का दो-दो बूंद रस आंखों में डालने से आँखों का पीलापन, लाली और रतौंधी ठीक हो जाती है इसके अलावा तुलसी के पत्तों का रस काजल की तरह आंखों में लगाने से आंखों का संक्रमण ठीक हो जाता है।
तुलसी के रस से पेट के कीड़े, उल्टी, हिचकी, भूख अच्छी लगना, लीवर की कार्यशक्ति बढ़ाना, ब्लड कोलेस्ट्रॉल कम करना, पेट की गैस , दस्त, कोलाइटिस, कमर दर्द, जुकाम, सिरदर्द, बच्चों के रोग, हृदय रोग आदि सभी बमारियों में लाभ होता है। आधा चम्मच रस या दस पत्ते तुलसी के रोजाना लें।
खांसी होने पर तुलसी के 25 पत्ते, 10 काली मिर्च मोटी पीसी हुई 200 मि़.ली. पानी में उबालें कि कुछ देर बाद ठण्डा कर छान कर दिन में तीन-तीन चम्मच रोजाना तीन बार पियें।
तुलसी अर्क के भी अनेक फायदे और उपयोग हैं, इसका अर्क निकालने के लिए इनकी पत्तियों को गर्म पानी के बर्तन में डालकर वाष्प के जरिए अर्क निकालकर आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के मिश्रण से अलग-अलग बीमारियों में उपचार के लिए प्रयोग करते हैं।
यह अर्क ब्लड कॉलेस्ट्रोल, एसिडिटी, पेचिस, सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, उल्टी-दस्त, कफ, चेहरे की क्रांति में निखार, मुंहासे, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, मलेरिया, खांसी, , आंखों में दर्द, पथरी, नकसीर, फेफड़ों की सूजन, अल्सर, पायरिया, शुगर, मूत्र संबंधी रोग आदि रोगों में लाभदायक है।
सांस की बदबू को दूर करने में भी तुलसी के पत्ते काफी फायदेमंद होते हैं। तुलसी का पेस्ट लगाने से कील-मुहांसे खत्म हो जाते हैं और चेहरा साफ होता हैं।
हिन्दू धर्म में अनेक परंपराओं और धार्मिक अनुष्ठान में तुलसी का प्रयोग किया जाता है। पंचामृत तुलसी दल के बिना पूर्ण ही नहीं माना जाता। किसी भी परसाद में तुलसी दल रखना शुभ माना जाता है। जिनके वैज्ञानिक कारणों की जानकारी अधिकतर लोगों को नहीं होती। जैसे मृत्यु शैया पर लेटे व्यक्ति को तुलसी दल गंगाजल के साथ देने का विधान है। इसका वैज्ञानिक कारण है कि तुलसी कफ को गले में जमा होने से रोकती है, मृत्यु शैया पर लेटे व्यक्ति को बोलने में कोई परेशानी न हो, इसलिए उसे तुलसी के पत्तों का रस गंगाजल में मिलाकर दिया जाता है। जिससे व्यक्ति के मुंह से आवाज निकल सके।
तुलसी देव वृक्ष के रूप में धरती पर अमृत के समान है, सभी को तुलसी को अपने घर में लगाना चाहिए, जिससे घर में संक्रमण का खतरा कम से कम हो।
वास्तुशास्त्र में तुलसी के पौधे को महत्वपूर्ण माना गया है। तुलसी का पौधा वास्तुदोष को काफी हद तक खत्म कर देता है। तुलसी के पौधे को उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना गया है। इससे घर में सकारात्मक वातावरण पैदा होता है।
तुलसी वास्तुदोष को भी दूर करती है। इस विषय पर चर्चा हम अन्य अन्य लेख में करेंगे।
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